सदियों से
तुम्हारे भीतर
पुरूष होने का
अहम् है
और
तुम्हारा यह अहम्
नारी तक ही सीमित है
तुम्हारी अकड़
और
वहम ने
नहीं झुकने दिया तुम्हें कभी भी
तुमने
उसके मौन को
उसकी विवशता समझा
सामाजिक बंधन
और
मर्यादा
उसे रोककर
तुम्हें
प्रेरित करती रहीं
और
तुम
आगे बढते रहे
हर रोज
या तो
तुम करते हो उसकी हत्या
या
वह करती है आत्महत्या
पैदा होती है वह
संस्कारी बैडियाँ पहनकर
नारी होना ही
अपने आप में
सुखों पर प्रतिबंध है
चाह कर भी
नहीं बोल सकती वह
शब्दकोश के
सभी शब्द
हद से गुजरने पर भी
मुँह पर उँगली रखकर
चुप्पी साध लेती है वह
और
अपनों के चेहरे देखकर
हो जाती है शांत
और
हँस देती है
उनकी खातिर
क्योंकि
वह जानती है
कि
पुरूष के अहम् ने उसे
हमेशा वेंटिलेटर पर जिलाए रखा है
और
औरत के हिस्से में
हार होती है हमेशा।
(निवेदन: कृपया कविता पर अपनी टिप्प्णी अवश्य दें। धन्यवाद)
तुम्हारे भीतर
पुरूष होने का
अहम् है
और
तुम्हारा यह अहम्
नारी तक ही सीमित है
तुम्हारी अकड़
और
वहम ने
नहीं झुकने दिया तुम्हें कभी भी
तुमने
उसके मौन को
उसकी विवशता समझा
सामाजिक बंधन
और
मर्यादा
उसे रोककर
तुम्हें
प्रेरित करती रहीं
और
तुम
आगे बढते रहे
हर रोज
या तो
तुम करते हो उसकी हत्या
या
वह करती है आत्महत्या
पैदा होती है वह
संस्कारी बैडियाँ पहनकर
नारी होना ही
अपने आप में
सुखों पर प्रतिबंध है
चाह कर भी
नहीं बोल सकती वह
शब्दकोश के
सभी शब्द
हद से गुजरने पर भी
मुँह पर उँगली रखकर
चुप्पी साध लेती है वह
और
अपनों के चेहरे देखकर
हो जाती है शांत
और
हँस देती है
उनकी खातिर
क्योंकि
वह जानती है
कि
पुरूष के अहम् ने उसे
हमेशा वेंटिलेटर पर जिलाए रखा है
और
औरत के हिस्से में
हार होती है हमेशा।
(निवेदन: कृपया कविता पर अपनी टिप्प्णी अवश्य दें। धन्यवाद)
क्योंकि
वह जानती है
कि
पुरूष के अहम् ने उसे
हमेशा वेंटिलेटर पर जिलाए रखा है
सुन्दर बिम्ब प्रयोग के साथ कविता अपने भाव बखूबी संप्रेषित करती है…………उम्दा रचना।
वन्दना जी की बात से सहमत हू. वेंटिलेटर का बिम्ब प्रयोग प्रभावशाली लगा. ऐसा बिम्ब प्रयोग अंग्रेज़ी मे टी एस इलियट और हिन्दी मे शमशेर की कविताओ मे देखने को मिलता है.
----कविता अच्छी है
--विचार- आज के युग की भेडिया-धसान
--पुरुष का अहं सिर्फ़ नारी तक कब सीमित है वे आपस में लडते भी इसीलिये हैं..
--कभी नारी के अहं पर भी सोच कर देखिये...
---चाह कर भी न बोलना क्या है? क्यों?किसलिये? क्यों वेन्टीलेटोर को , हार को स्वीक्रति दी?????यह एक यक्ष प्रश्न है ...नर व नारी दोनों को सोच के लिय...