धर्म और अध्यात्म
'अध्यात्म' शब्द 'अधि' और 'आत्म' दो शब्दों से मिलकर बना है । अधि का अर्थ है ऊपर और आत्म का अर्थ है ख़ुद । इस प्रकार अध्यात्म का अर्थ है ख़ुद को ऊपर उठाना । ख़ुद को ऊपर उठाना ही मनुष्य का कर्तव्य है। ख़ुद को ऊपर उठाने के लिए प्रत्येक मनुष्य को कुछ गुण धारण करना अनिवार्य है जैसे कि सत्य, विद्या, अक्रोध, धैर्य, क्षमा और इंद्रिय निग्रह आदि । जो धारणीय है वही धर्म है । कर्तव्य को भी धर्म कहा जाता है। जब कोई राजा शुभ गुणों से युक्त होकर अपने कर्तव्य का पालन करता तभी वह ऊपर उठ पाता है । इसे राजधर्म कह दिया जाता है । पिता के कर्तव्य पालन को पितृधर्म की संज्ञा दे दी जाती है और पुत्र द्वारा कर्तव्य पालन को पुत्रधर्म कहा जाता है। पत्नी का धर्म, पति का धर्म, भाई का धर्म, बहिन का धर्म, चिकित्सक का धर्म आदि सैकड़ों नाम बन जाते हैं । ये सभी नाम नर नारियों की स्थिति और ज़िम्मेदारियों को विस्तार से व्यक्त करने के उद्देश्य से दिए गए हैं। सैकड़ों नामों का मतलब यह नहीं है कि धर्म भी सैकड़ों हैं । सबका धर्म एक ही है 'शुभ गुणों से युक्त होकर अपने स्वाभाविक कर्तव्य का पालन करना ।'
Related Posts
- देश-विदेश में अक्सर मुहब्बत की जो यादगारें पाई जाती हैं वे आशिक़ों ने अपनी महबूबाओं और बीवियों के लिए तो बनाई हैं लेकिन ‘प्यारी मां के लिए‘ कहीं कोई ताजमहल नज़र नहीं आता , ऐसा क्यों हुआ ? Taj for a mother
- हिंदू और मुस्लिम मतों में बुनियादी अंतर क्या है ? The main difference between Hinduism and Islam
- क्या ईश्वर भी कभी अनीश्वरवादी हो सकता है ? c
- मेरा संदेश साधु-संत और मुजरिम भी पढ़ते हैं The message
बहुत सुन्दर, सहज़ व्याख्या है धर्म की...बधाई
@ डाक्टर गुप्त साहब ! आपका धन्यवाद !
कृप्या मेरे ब्लाग्स पर भी तशरीफ़ लाईयेगा ।
अनवर जी आपके आलेख पढे परन्तु मुझे लगता है कि आपने वेद आदि सिर्फ़ इसलिये पढे हैं कि आप इस्लाम को प्रतिष्थापित कर सके----आप के लगभग सभी वेदार्थ अशुद्ध व गलत हैं, आप उनमें निहित वैग्यानिकता व गूढ तत्वार्थ नहीं समझ पाते हैं ..शायद आशन्कित, अश्रद्धा के कार..
@ Dr. Shyam gupta ji ! आप मुझसे कह रहे हैं कि मैं वेदार्थ नहीं समझ पाया । लेकिन आपने मेरे ब्लाग
vedquran.blogspot.com
पर लेख 'हज' टिप्पणी की और उसे आप मेरा लेख समझ रहे हैं । जबकि मैंने वहाँ लेखक जनाब एस. अब्दुल्लाह तारिक़ साहब का न केवल नाम लिखा है बल्कि उनका फ़ोटो भी लगाया है और उनका परिचय देते हुए यह भी बताया है कि राष्ट्रीय स्तर पर कितने ही वेदाचार्य उनका समर्थन भी करते हैं और उनके मिशन में भी साथ देते हैं ।
अगर आप यह तक नहीं समझ पा रहे हैं कि लेख अनवर जमाल ने लिखा ही नहीं है तो फिर आप गूढ़ रहस्य को भला कैसे समझ पाएंगे ?
@ Dr. Shyam gupta ji ! आप मुझसे कह रहे हैं कि मैं वेदार्थ नहीं समझ पाया । लेकिन आपने मेरे ब्लाग
vedquran.blogspot.com
पर लेख 'हज' टिप्पणी की और उसे आप मेरा लेख समझ रहे हैं । जबकि मैंने वहाँ लेखक जनाब एस. अब्दुल्लाह तारिक़ साहब का न केवल नाम लिखा है बल्कि उनका फ़ोटो भी लगाया है और उनका परिचय देते हुए यह भी बताया है कि राष्ट्रीय स्तर पर कितने ही वेदाचार्य उनका समर्थन भी करते हैं और उनके मिशन में भी साथ देते हैं ।
अगर आप यह तक नहीं समझ पा रहे हैं कि लेख अनवर जमाल ने लिखा ही नहीं है तो फिर आप गूढ़ रहस्य को भला कैसे समझ पाएंगे ?
@ Dr. Shyam gupta ji ! आप मुझसे कह रहे हैं कि मैं वेदार्थ नहीं समझ पाया । लेकिन आपने मेरे ब्लाग
vedquran.blogspot.com
पर लेख 'हज' टिप्पणी की और उसे आप मेरा लेख समझ रहे हैं । जबकि मैंने वहाँ लेखक जनाब एस. अब्दुल्लाह तारिक़ साहब का न केवल नाम लिखा है बल्कि उनका फ़ोटो भी लगाया है और उनका परिचय देते हुए यह भी बताया है कि राष्ट्रीय स्तर पर कितने ही वेदाचार्य उनका समर्थन भी करते हैं और उनके मिशन में भी साथ देते हैं ।
अगर आप यह तक नहीं समझ पा रहे हैं कि लेख अनवर जमाल ने लिखा ही नहीं है तो फिर आप गूढ़ रहस्य को भला कैसे समझ पाएंगे ?
@ Dr. Shyam gupta ji ! आप मुझसे कह रहे हैं कि मैं वेदार्थ नहीं समझ पाया । लेकिन आपने मेरे ब्लाग
vedquran.blogspot.com
पर लेख 'हज' टिप्पणी की और उसे आप मेरा लेख समझ रहे हैं । जबकि मैंने वहाँ लेखक जनाब एस. अब्दुल्लाह तारिक़ साहब का न केवल नाम लिखा है बल्कि उनका फ़ोटो भी लगाया है और उनका परिचय देते हुए यह भी बताया है कि राष्ट्रीय स्तर पर कितने ही वेदाचार्य उनका समर्थन भी करते हैं और उनके मिशन में भी साथ देते हैं ।
अगर आप यह तक नहीं समझ पा रहे हैं कि लेख अनवर जमाल ने लिखा ही नहीं है तो फिर आप गूढ़ रहस्य को भला कैसे समझ पाएंगे ?
जो भी हो बात लेखक के संदर्भ में है...अपने ब्लोग पर आलेख का अर्थ ही यह है कि आपकी स्वीक्रिति है....
bahut accha .........
bahut accha .........