ऎसे समय में "परिकल्पना" ब्लॉग पर संचालक रवीन्द्र प्रभात संपूर्ण वर्ष के हिन्दी ब्लॉग लेखाजोखा किस्त-ब-किस्त दे रहे हैं। रवीन्द्र प्रभात यह अभियान 15 जनवरी तक चलाएंगे। इस दौरान प्रतिदिन 20-25 ब्लॉग की दर से ब्लॉग जारी रखेंगे। इस विश्लेषण के रूप में उनकी योजना एक हजार हिन्दी ब्लॉग्स को पाठकों तक पहुंचाने की है। यह उद्योग वह पिछले दो वर्षों से करते आ रहे हैं। उन्होंने 2008, 2009 में भी हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण ब्लॉग जगत को दिए। उनके अनुसार विगत कई वर्षों की तुलना में वर्ष - 2010 में हिन्दी ब्लॉगिंग समृद्धि ओर तेजी से अग्रसर हुई है। इस वर्ष लगभग आठ से 10 हजार के बीच नए ब्लॉगर्स का आगमन हुआ है। उनका अनुमान है कि सव्यिता के मामले में इस वर्ष आए ब्लॉगर्स में से केवल 500 से 1000 के बीच ही हैं और सार्थक लेखन के मामले में 300 के आसपास। यह आंकड़े रवीन्द्र जी ने अपने प्रयास और उद्यम से संकलित किए हैं।
उनसे बात करने के बाद स्पष्ट हुआ कि उन्होंने इस तरह के आंकड़े कैसे जुटाए? जो कि बगैर किसी सहायता के बहुत ही श्रम साध्य काम है। सभी ब्लॉग्स की फीड दिखाने वाले एग्रीगेटरर्स पर अगर नजर रखी जाए तो प्रति एक घंटे में एक ब्लॉग दर्ज होता है। ऎसा अनुमान लगाया जा सकता है। पर इस विश्लेषण में हमारे वे ब्लॉग छूटे रहे जो विभिन्न वेबपोर्टल या विभिन्न वेबसाइट्स पर बनते हैं। बीबीसी, एनबीटी जैसे न्यूज पोर्टल पर ब्लॉग बनाए जाते हैं। संयोगवश आज प्रत्येक वेब पोर्टल में ब्लॉग का कोना है जिनमें दर्ज ब्लॉग की गिनती नहीं की जा रही है। ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम पर या विभिन्न एग्रीगेटर पर दर्ज हुए ब्लॉग इस गिनती में नजर आ रहे हैं। इस प्रकार के अनुमान थोथे आंकड़ेबाजी ही सिद्ध होते हैं।
ऎसी ही किसी आशंका से घिरकर ब्लॉगर अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने रवीन्द्र प्रभात के वार्षिक हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण —2010, संख्या तीन में अपनी टिप्पणी में लिखा कि जिस तरीके से ब्लॉग लेखन का स्तर सतही,अत्यल्प बेहतर लेखन को छोड़कर है, उसी तरह यह मूल्यांकन का प्रयास भी सतही है। मठाधीशी, आंतरिक सेटिंग, छपास-रोग का अंधानुराग, विपरीत-लैंगिक खिंचाव में फालतू पोस्टरों पर अधिक संख्या में फेंकती टिप्पणियां, ठीक टीपों का खामखा "डिलीटीकरण", प्रतिशोधात्मक कीचड़-उछौहल आदि नकारात्मक सक्रियताएं हिन्दी ब्लॉग जगत की मुख्यधारा का सच है। हो सके तो इनका भी मूल्यांकन करना सीखा जाए।" अमरेन्द्र नाथ की इस टिप्पणी ने हिन्दी ब्लॉग जगत की दुखती रग पर हाथ रख दिया। यानी अमरेन्द्र नाथ की चिंता वाजिब है।
पर कुछ अच्छी चीजों को खारिज नहीं किया जा सकता। विश्लेषण इनका भी होना चाहिए। यह बहुत ही साहस का काम होगा और ब्लॉग का भला चाहने वालो इसमें भरपूर सहयोग देना होगा। आशा करते हैं कि आगामी वर्षों में इतने प्रामाणिक आंकड़े होगे कि इस संबंध में कोई शक सुबहा बकाया नहीं रहेगा। और हमें ऎसी टिप्पणियां नहीं प्राप्त होगी। अगर हों तो सम्पूर्ण आलोचनात्मक विश्लेषण जिससे किसी भी अमरेन्द्र का कोई शक शेष न रहे।
() प्रतिभा कुशवाहा
sundar prastuti.