सभी सम्म्मानित ब्लोगेर भाइयों, पोस्ट ऐसे होने चाहिए जिससे समाज को नयी दिशा मिले. मेरी निगाह में सभी धर्म का सार एक ही है. ईश्वर की आराधना का तरीका अलग-अलग हो सकता है. किन्तु हम सब उसी एक ईश्वर की पूजा, वंदना, आराधना करते है. जो सम्पूर्ण विश्व को चला रहा है. सभी धर्म यही कहते है. की इश्वर एक है फिर लडाई कैसी ? बस हमें अपनी सोच का तरीका बदलना होगा. यदि एक धर्म को मानने वाला दूसरे धर्म को मानने वाले को कहे कि वह गुमराह है तो इसे मैं पूर्ण रूप से गलत मानता हू . मैं कभी धर्म के बारे लिखना नहीं चाहता था, परन्तु पिछले कुछ दिनों से कुछ लोंगो में अपने धर्म को बड़ा बताने की परम्परा की शुरुआत हुई थी उससे मैं अज़ीज़ आ गया था. यदि कोई किसी के धर्म को नहीं मानता तो भी वह किसी न किसी बिधि से इश्वर की उपासना कर ही रहा है. खुदा, भगवान या कोई नाम देने से ईश्वर का स्वरूप नहीं बदल जाता. वह अनंत परमेश्वर एक ही है जिसकी उपासना किसी न किसी रूप में सभी करते है. बस ईश्वर में श्रद्धा होनी चाहिए. अपने को बड़ा व दूसरों को नीचा दिखाने की परम्परा बंद करे. कोई ऐसी पोस्ट इस ब्लॉग पर न लिखे जिससे किसी की भावनाओ को ठेस पहुंचे. यदि मेरे पोस्ट द्वारा किसी को थेश पहुंची थी तो मैं माफ़ी चाहता हू. मेरे कहने का मतलब वह नहीं था जिसे अधिकतर लोंगो ने समझा.
मेरे सम्मानित भाइयों आइये अपनी रचनाओ के माध्यम से इस ब्लॉग को हम ऐसा बनाये जो सभी के हित में हो और सभी का मार्गदर्शन करे. धार्मिक विवाद में पड़कर बेवजह बात करने से कुछ मिलने वाला नहीं है. वही लिखे जिससे सम्पूर्ण मानव समाज का हित हो.
सही बात है, हरीश जी, अपने धर्म को बडा व दूसरे को नीचा दिखाने की परम्परा ही कट्टरता की पहचान है जो किसी भी भांति मानवता के हित में नहीं हो सकती...
एल बी ए पर धार्मिक लड़ाई बंद हो