ये कैसा हादसा हमें पेश आया हैं
सिर पे सलीब रोज़ हमने उठाया है
जब चिराग़-ओ-शम्स मयस्सर न हुआ
अपने दिल को रौशनी के लिए जलाया हैं
आशियाना मुझे एक मयस्सर न हो सका
ऐ खुदा तुने ये जहाँ किस तरह बनाया है
मैं क्या करूँगा ज़माने की ख्वाहिशें
जबसे तुने मुझको रोना सिखाया है
तेरे ही बदौलत सही मुझे ये नसीब है
सरे-ज़माना मैंने अब सर कटाया है
किस्मत की दास्ताँ कुछ इस तरह हुई
ग़म-ख्वार ने ही 'सलीम' हर ग़म बढाया है
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति।
dhanywaad SANGEETA JEE AUR VANDNAA JEE
सरे-ज़माना मैंने अब सर कटाया है
सुन्दर....
अच्छी ग़ज़ल सलीम भाई. यह दर्द सिर्फ ग़ज़ल में है न. सुन्दर प्रस्तुति. आपने फोटो प्रदर्शनी लगा दी है. जहा देखोगे वहा मै ही मैं नज़र आऊंगा कुछ यही कह रही है आपकी तस्वीरे.
खूबसूरत गज़ल ...सुन्दर प्रस्तुति.
काफी अच्छा लिखा है आपने
सारी कायनात बनाई है खुदा ने बशर के लिए
इल्मो हुनर से काम ले तू तामीरे घर के लिए
शिकवा न कर तू कि कुफ़्र है बेसूद है
जन्नत है तेरा आशियाँ , न रो यहां घर के लिए
सच्चा उपदेशक
अनवर जमाल
हे ईश्वर, हे खुदा, हे सारी कायनात के मालिक, अनवर भाई के दिल से अहंकार निकाल दे, इन्हें एहसास दिला की घमंड नहीं करना चाहिए, उन्हें बता की घमंड हर चीज का बुरा होता है. लोग इन्हें सही कहे न की ए खुद को सच्चा उपदेशक समझे.
वाह!!! बेहतरीन ग़ज़ल....
ग़ज़ल के हर शे’र लाजवाब हैं।
हम सांप के काटे की दवा सांप के ज़हर से ही बनाते हैं
किसी आदमी के सच्चे या झूठे होने का फैसला इस आधार पर नहीं किया जा सकता कि लोग उसके बारे में क्या कहते हैं बल्कि उसका आधार यह है कि उसकी बात कितनी सच है ?
@ भाई हरीश जी ! आप मेरी बात को देखिये और बताइए कि सलीम भाई को जो उपदेश मैंने दिया है , वह सच्चा है या नहीं ?
अगर वह झूठा होगा तो मैं उसे अभी छोड़ दूंगा .
अब आप अपने कहे के मुताबिक़ मेरे शिष्य बन चुके हैं और मैंने आपको ज्ञान देना भी शुरू कर दिया है .
अब आप मुझ पर आरोप लगाना छोड़ कर मुझ से कुछ सीखना शुरू करें वरना आपकी मर्ज़ी .
खुद सलीम खान साहब से आप पूछियेगा कि मेरी सलाह उन्हें सलाह ठीक लगी या ग़लत ?
आपमें संभावनाएं हैं , उन्हें काम में लायें .
मेरा एक मिशन है . मेरा प्यार , गुस्सा , झिड़की और धिक्कार , मेरा सोना-जागना , गर्ज़ यह कि एक एक गतिविधि सब कुछ डिज़ाइण्ड है.
आप चाहे तो उसे सीख सकते हैं , मैंने आज तक किसी को उसे सिखाया नहीं है . मैंने आपसे कहा था कि जो कुछ अक्सर नज़र आता है , हकीक़त उसके खिलाफ़ भी हुआ करती है , यह सच है .
ख़ैर जैसा आप चाहें .
बहस करनी है तो बहस करें .
सीखना है तो सीखें . हर तरह आपका स्वागत है .
अपने अहंकार के बारे में भी किसी दिन आपको ज्ञान दूंगा , तब आप जानेंगे कि भारत में ऐसे ज्ञानी भी हैं जो सांप के काटे की दवा सांप के ज़हर से ही बनाते हैं .
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