सुख की रोटी हमेशा दुख की आँच पर ही सिकती है ।
जीवन के पेड़ पर ख़ुशियों के फूल तब महकते हैं जबकि उसकी जड़ों में ग़म की बदबूदार खाद डाली जाती है ।
आनंद का घोंसला ख़ुशियों के तिनकों से बनता है।
जो छोटी चीज़ों को तुच्छ जानता है उसे ख़ुशी कभी नसीब नहीं हो सकती। ईश्वर की ओर से अहंकारी के लिए यह एक श्राप है जो कि एक प्राकृतिक दंड विधान है ।
ईश्वर अल्लाह ने यह रहस्य मुझ पर खोला है । जो लाभ उठाना चाहे , उठा सकता है । मैं इस सिद्धांत का पेटेंट नहीं कराऊंगा ।
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sahi kaha !
शुक्रिया जनाब सलीम ख़ान साहब !
aapki baat bilkul sahi hai
@ मीनाक्षी जी ! आप इस बात को कविता में कहिएगा ।
satya vachan anvar sahab.