सच्चे प्यार की अनोखी दास्ताँ ...
प्यार ईश्वर का दूसरा रूप है। यदि यह सच्चा हो तो इसकी राह में आने वाले कांटे भी फूल बनकर जीवन की बगिया को गमकाने लगते हैं। यही मानना है युगल जोड़ी केके यादव व संगीता यादव का। 19 साल पहले मुम्बई में संगीता राणे व केके यादव के रूप में मिले ये दो दिल आज यादव दम्पती के रूप में एक दूसरे के प्रति श्रद्धा, विश्वास व सहयोग के साथ जीवन की नैया पार कर रहे हैं। शादी के 18 बसंत पूरी कर चुकी यह जोड़ी आज के प्रेमी युगल के लिए एक मिशाल है।
बात 1992 की है। मुम्बई के राणे परिवार में जन्मी संगीता की पहली मुलाकात मुंबई के एक कंपनी में नौकरी के दौरान केके यादव से हुई थी। जहां केके बिहार के मुंगेर से रोजी-रोटी की तलाश में पहुंचकर नौकरी कर रहा था। इस दौरान दोनों को एक दूसरे की सादगी बेहद पसंद आयी। इस दौरान बात दिन-प्रतिदिन बढ़ती गयी और फिर वे कब एक दूसरे के हो गये पता ही नहीं चला। दोनों एक दूसरे की नजरों के इशारों को पढ़ने में कम नहीं थे। न मिलने पर घबराहट और मिलने पर आंख चुराना इस बात का तस्दीक कर चुका था कि बात आगे बढ़ चुकी है। अतीत की सुनहरी यादों में खोती हुई संगीता ने बताया कि मिलने की बेताबी, तड़प और बेकरारी बढ़ती गयी तो एक दिन प्यार का इजहार करना ही पड़ा। माध्यम बना प्रेम पत्र। उसके बाद दिल के धड़कन की हाल न पूछिये। फिर क्या था केके की मानों मन मांगी मुराद पूरी हो गयी। रातों की नींद और दिन का चैन गायब हो गया। बात बढ़ी तो दूर तक जाना लाजिमी था सो हुआ भी। फिर परिजनों की बंदिश पर संगीता राणे का इजहारे मोहब्बत भारी पड़ा और जनवरी 1993 में दोनों मंदिर में सात फेरे लेकर यादव दम्पति के रूप में एक दूजे के हो गये। इस दौरान दोनों नौकरी करते हुए परिवार से अलग होकर रहने लगे। धीरे-धीरे समय बीता और दोनों नौकरी छोड़कर व्यापार करने लगे। अब ये दम्पति गोपीगंज के शुक्ला बिल्डिंग में रहकर व्यापार कर रहे हैं। उन्हे इस बात का बेहद फक्र है कि आज उनके प्यार की मुम्बई में मिशाल दी जाती है। उनके प्यार की ताकत का ही असर है कि शून्य से जीवन शुरू कर आज वे एक मुकाम को हासिल कर चुके है। हालांकि इस दौरान तमाम संघर्षो और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। एक दूसरे के प्रति विश्वास रूपी ठोस नींव पर प्यार की बुलंद इमारत तैयार हुई। उनके दो बेटे हुए। जो मुंबई में ही शिक्षा ग्रहण कर रहे है। आज वे सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे है। नये युगल को संदेश देते हुए केके यादव ने कहा कि एक दूसरे के प्रति वफादारी प्रेम रूपी पौधे को हमेशा हरा-भरा रख सकता है। ये दम्पति इस बात से आहत हैं कि आज के दौर में प्यार के परिभाषा की गलत तरीके से व्याख्या हो रही है।
प्यार ईश्वर का दूसरा रूप है। यदि यह सच्चा हो तो इसकी राह में आने वाले कांटे भी फूल बनकर जीवन की बगिया को गमकाने लगते हैं। यही मानना है युगल जोड़ी केके यादव व संगीता यादव का। 19 साल पहले मुम्बई में संगीता राणे व केके यादव के रूप में मिले ये दो दिल आज यादव दम्पती के रूप में एक दूसरे के प्रति श्रद्धा, विश्वास व सहयोग के साथ जीवन की नैया पार कर रहे हैं। शादी के 18 बसंत पूरी कर चुकी यह जोड़ी आज के प्रेमी युगल के लिए एक मिशाल है।
बात 1992 की है। मुम्बई के राणे परिवार में जन्मी संगीता की पहली मुलाकात मुंबई के एक कंपनी में नौकरी के दौरान केके यादव से हुई थी। जहां केके बिहार के मुंगेर से रोजी-रोटी की तलाश में पहुंचकर नौकरी कर रहा था। इस दौरान दोनों को एक दूसरे की सादगी बेहद पसंद आयी। इस दौरान बात दिन-प्रतिदिन बढ़ती गयी और फिर वे कब एक दूसरे के हो गये पता ही नहीं चला। दोनों एक दूसरे की नजरों के इशारों को पढ़ने में कम नहीं थे। न मिलने पर घबराहट और मिलने पर आंख चुराना इस बात का तस्दीक कर चुका था कि बात आगे बढ़ चुकी है। अतीत की सुनहरी यादों में खोती हुई संगीता ने बताया कि मिलने की बेताबी, तड़प और बेकरारी बढ़ती गयी तो एक दिन प्यार का इजहार करना ही पड़ा। माध्यम बना प्रेम पत्र। उसके बाद दिल के धड़कन की हाल न पूछिये। फिर क्या था केके की मानों मन मांगी मुराद पूरी हो गयी। रातों की नींद और दिन का चैन गायब हो गया। बात बढ़ी तो दूर तक जाना लाजिमी था सो हुआ भी। फिर परिजनों की बंदिश पर संगीता राणे का इजहारे मोहब्बत भारी पड़ा और जनवरी 1993 में दोनों मंदिर में सात फेरे लेकर यादव दम्पति के रूप में एक दूजे के हो गये। इस दौरान दोनों नौकरी करते हुए परिवार से अलग होकर रहने लगे। धीरे-धीरे समय बीता और दोनों नौकरी छोड़कर व्यापार करने लगे। अब ये दम्पति गोपीगंज के शुक्ला बिल्डिंग में रहकर व्यापार कर रहे हैं। उन्हे इस बात का बेहद फक्र है कि आज उनके प्यार की मुम्बई में मिशाल दी जाती है। उनके प्यार की ताकत का ही असर है कि शून्य से जीवन शुरू कर आज वे एक मुकाम को हासिल कर चुके है। हालांकि इस दौरान तमाम संघर्षो और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। एक दूसरे के प्रति विश्वास रूपी ठोस नींव पर प्यार की बुलंद इमारत तैयार हुई। उनके दो बेटे हुए। जो मुंबई में ही शिक्षा ग्रहण कर रहे है। आज वे सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे है। नये युगल को संदेश देते हुए केके यादव ने कहा कि एक दूसरे के प्रति वफादारी प्रेम रूपी पौधे को हमेशा हरा-भरा रख सकता है। ये दम्पति इस बात से आहत हैं कि आज के दौर में प्यार के परिभाषा की गलत तरीके से व्याख्या हो रही है।
यादव दंपत्ति का परिचय जानना अच्छा रहा.
आज के दौर में प्यार के परिभाषा की गलत तरीके से व्याख्या हो रही है
एक दूसरे के प्रति वफादारी प्रेम रूपी पौधे को हमेशा हरा-भरा रख सकता है।
.
सही कहा है
हे मन! प्रेम के तुम आधार ।
यह अच्छा लगा कि दोनों ने ही प्यार को निभाया भी .
एक दूसरे के प्रति वफादारी प्रेम रूपी पौधे को हमेशा हरा-भरा रख सकता है.
वाह...वाह...वाह सही कहा है।