रिश्ते बंद है आज
चंद कागज के टुकड़ो में,
जिसको सहेज रखा है मैंने
अपनी डायरी में,
कभी-कभी खोलकर
देखता हूँ उनपर लिखे हर्फों को
जिस पर बिखरा है
प्यार का रंग,
वे आज भी उतने ही ताजे है
जितना तुमसे बिछड़ने से पहले,
लोग कहते हैं कि बदलता है सबकुछ
समय के साथ,
पर
ये मेरे दोस्त
जब भी देखता हूँ
गुजरे वक्त को,
पढ़ता हूँ उन शब्दो को
जो लिखे थे तुमने,
गूजंती है तुम्हारी
आवाज कानो में वैसे ही,
सुनता हूँ तुम्हारी हंसी को
ऐसे मे दूर होती है कमी तुम्हारी,
मजबूत होती है
रिश्तो की डोर
इन्ही चंद पन्नो से,
जो सहेजे है मैंने
न जाने कब से।।
कहा था दिल मत लगाना अब भुगतो, सारे कागजो को रात भर तकिया लगाकर vanentain डे मनाया होगा क्यों. अच्छी कविता , शुभकामना.
वो किताबों मे रखे हुए सूखे फ़ूल...
बढिया कविता, शुभकामना.