सलीम ख़ान संस्थापक एवं संयोजक लखनऊ ब्लॉगर एसोसियेशन |
एक बार किसी बात से यमराज जी सरदार जी से किसी बात पर चिढ गए थे. चित्रगुप्त ने उनसे पूछा कि आखिर वजह क्या है कि आप सरदार जी से इतने चिढ़े हुए हैं? उन्होंने कहा- क्यूंकि सरदार पॉकेट में रोकेट रखता है और वो भी दोनों तरफ़! और तुम देखना चित्रगुप्त जब सरदार मर कर आएगा तो मैं इसे नरक में ही डालूँगा.
फिर वह वक़्त भी आया कि जब सरदार जी के जीवन की लीला समाप्त हुई और वह यमराज के समक्ष उपस्थित हुए और अपने फैसले का इंतज़ार करने लगे. उसी वक़्त २ अन्य लोगों (एक पंडित जी और एक मुल्ला जी) का भी देहावसान हुआ था और वह भी अपने फ़ैसले के इंतज़ार में खड़े थे. लेकिन यमराज जी तो बस सरदार जी को ही नाहरे जा रहे थे और सोच रहे थे कि कैसे उसे नरक का भोगी बनाऊं.
"आप लोगों से सवाल तलब किये जायेंगे और जो जवाब सही दे देगा वह जन्नत में जायेगा और जिसने ग़लत जवाब दिया तो उसे दोज़ख मिलेगी." यमराज गरजे.
उसके बाद वाईवा शुरू हुआ.
"पंडित जी आप २ का पहाड़ा सुनाईये?" यमराज जी का सवाल पंडित जी के लिए.
पंडित जी ने एक ही सांस में २ का पहाड़ा सुना दिया. फलस्वरूप उन्हें जन्नत का सर्टिफिकेट मिल गया.
"मुल्ला जी आप ३ का पहाड़ा सुनाईये? यमराज जी का सवाल मुल्ला जी के लिए.
मुल्ला जी ने भी एक ही सांस में ३ का पहाड़ा सरपट सुना दिया. फलस्वरूप उन्हें भी जन्नत का सर्टिफिकेट मिल गया.
"हाँ! तो सरदार जी आप १९ (उन्नीस) का पहाड़ा सुनाईये?" यमराज जी का सवाल सरदार जी के लिए था...
बेचारे सरदार जी को उन्नीस का पहाड़ा आता ही नहीं था और वह सवाल जवाब के सेशन में फेल हो चुके थे. फलस्वरूप उन्हें नरक का सर्टिफिकेट मिला.
सरदारजी को लगा कि उनसे कुछ ज्यादा ही कठिन सवाल पूछ लिया गया है. उन्होंने कहा - "हे महाराज! मुझे लगता है कि मेरे साथ ज्यातदी की गयी है. मुझसे सवाल अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक कठिन सवाल पूछा गया है."
ठीक है, हम दोबारा से पूछते हैं.
"पंडित जी आप बताईये कि आपके एक हाँथ में कितनी उंगलिया हैं?"
"जी, पांच" पंडित जी ने चिहुँकते हुए जवाब दिया.
"मुल्ला जी आप बताईये कि आपके एक पैर में कितनी उंगलिया हैं?"
जी, पांच" मुल्ला जी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया.
"हाँ! तो सरदार जी आप बताईये कि आपके सिर में कितने बाल हैं?"
यहाँ पर फ़िर सरदार जी जवाब नहीं दे पाए और उन्हें एक बार फ़िर दोज़ख का सर्टिफिकेट मिल गया.
लेकिन अबकी बार भी सरदार जी ने विरोध किया तो यमराज जी ने तीसरा और आखिरी मौक़ा देते हुए सवाल दगा.
"पंडित जी, कैट की स्पेलिंग बताईये?"
"सी ए टी"
"मुल्ला जी, डॉग की स्पेलिंग बताएं?"
"डी ओ जी"
"हाँ! तो सरदार जी, आप चिकोस्लोवाकिया की स्पेलिंग बताएं?"
"!!!!!!!!"
इस तरह से प्री-ज्यूडिस मामले में पंडित जी और मुल्ला जी को जन्नत और सरदार जी को अंततः दोज़ख ही मिली.
चलते चलते::
मेरा सभी ब्लॉगर से अनुरोध है कि किसी पूर्वाग्रह के चलते आप किसी भी ब्लॉगर का विरोध न करे बल्कि उसकी बातों को चिंतन और मनन के उपरान्त और सत्य की कसौटी पर उतार कर उसके बारे में फैसला लें.
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