अध्यक्ष बनना चाहता है......
( आज मनुष्य की अभीप्सा, लालसा इतनी बढ गयी है कि प्रत्येक व्यक्ति उसी वस्तु को प्राप्त करना चाह्ता है जो और लोग प्राप्त करना चाहते हैं, मैं क्यों नहीं...)
आज कल हर आदमी अध्यक्ष बनना चाहता है।
जन युधिष्ठिर रहे, जन जन यक्ष बनना चहता है।
चाहता हर एक , उसके शीश मोर मुकुट रहे-
हर आम भी तो स्वयं सत्ता पक्ष बनना चाहता है ॥
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चाहता हर एक , उसके शीश मोर मुकुट रहे-
हर आम भी तो स्वयं सत्ता पक्ष बनना चाहता है ॥
हर आम भी तो स्वयं सत्ता पक्ष बनना चाहता है ॥
आगे आगे देखिये कितने ....आते हैं बनने..