ब्लोग नगरी के एक तालाव पर जब चारों भाई किसी यक्ष के उल-जुलूल प्रश्न सुनकर बेहोश होगये तो युधिष्ठिर ने उन्हें जगाया | जागने पर वे एक साथ बोले, भाई जी ये कैसी कहानी थी | तो युधिष्ठिर बोले यह एक नादान यक्ष की कथा है ...मैं तुम्हें विस्तार से सुनाता हूँ ....
भाइयो, यह बहुत सी जानकारियों से भरपूर एक यक्ष है जो एक हाथी का ज्ञान प्राप्त करने के क्रम में कभी उसका पैर पकड़कर कहता की हाथी तो खम्बे जैसा होता है; कभी सूंड को पकड़कर कहता -हाथी सर्प के सामान होता है; कभी कान को छूकर हाथी को पंखे जैसा बताता ; जब दांत पकड़ में आजाता तो हाथी उसके लिए कठोर व तेज नुकीले भाले के अग्र-भाग जैसा कहता |
भीम ने टोकते हुए पूछा -किसी ने उसे हाथी के बारे में सही बात नहीं बताई ? युधिष्ठिर बोले , बहुतों ने उसे समझाने की कोशिश की पर ज्ञान-दंभ में कुंद उसने सुनने का प्रयत्न ही नहीं किया | तुम लोगों ने भी तो प्रयत्न किया था पर ....क्या हुआ....|
तो उसकी समझ में क्यों नहीं आता , वह कोइ बुद्धिहीन तो नहीं लगता -नकुल ने पूछा | युधिष्ठिर बोले -वह एक अलग कहानी है , तुम्हें सुनाता हूँ ...... बुद्धि तीन प्रकार की होती हैं--चमड़ -बुद्धि, लक्कड़-बुद्धि और बांस-बुद्धि | वह यक्ष चमड़ बुद्धि का है | सहदेव ने कहा ज़रा विस्तार से बताएं तात |
युधिष्ठिर बताने लगे... जैसे चमड़े में कील से छेद करें तो फिर कील निकाल लेने पर वह छेद गायब होजाता है चमडा वैसा का वैसा ही रह जाता है, वैसे ही चमड़-बुद्धि कुछ जानने पर फिर भूल जाती है| जैसे लकड़ी में कील से छेद करें फिर निकाल लें तो वह छेद वैसा ही बना रहता है उसी प्रकार लकड़-बुद्धि वाला व्यक्ति ज्ञान को प्राप्त करके उसे उतना ही सहेज कर रखे रहता है | यदि बांस में कील गाडी जाय तो वह काफी दूर तक अपने आप फटता चला जाता है उसी प्रकार बांस-बुद्धि वाला व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करके उसे अपने अनुभव व कर्मठता से स्वयम बढाता जाता है व औरों के लिए ज्ञान-दीप भी बन पाता है |
अर्जुन ने पूछ लिया.. हे धर्मराज ! वह हाथी कौन है और यक्ष कौन है ? युधिष्ठिर ने कहा---भाइयो वह हाथी स्वयं धर्म है और यक्ष -ज्ञान को सिर्फ जानकारी मानने वाला वास्तव में श्रृद्धा-नेत्र से हीन अहंकारी एक अज्ञानी यक्ष | आने वाले युग ,कलयुग में एसे ही यक्ष होंगे |
बहुत सुन्दर ब्यंगात्मक कथा| धन्यवाद|
A wonderful story by Daksh .
बहुत अच्छा स्वागत.
ज्ञानवर्धक सुंदर लेख.-
आभार ..!!
लजवाब पोस्ट के साथ साथ एक ज्ञान से भरी जानकारी के साथ आपने हमें अपने लेख से रूबरू कराया |
आपका आभार |
धन्यवाद..शिव शंकर जी..हरीश जी व पाताली जी..व अनुपमा जी...और अनवर जी..
---धन्यवाद वंदना जी..
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