LBA की अध्यक्षा जी माननीया रेखा श्रीवास्तव जी ने नीति-नियम हेतु निम्न सुझाव भेजे हैं, जिसे तत्काल प्रभाव से LBA पर आज ही लागू किया जा रहा है.
माननीय सदस्यों से : -
१. लखनऊ ब्लोगर्स एसोसिएशन ' का अर्थ ये बिल्कुल भी नहीं है कि इसके सदस्य सिर्फ लखनऊ के लोग ही होंगे ऐसा कुछ भी नहीं है, मैं और मासूम भाई दोनों ही बाहर के है . यह तो सिर्फ एक नाम है इसके लिए क्षेत्र की सीमायों का कोई बंधन नहीं है. सभी लोगों का हार्दिक स्वागत है.
२. इस ब्लॉग पर धर्म प्रचार या फिर किसी की आस्था पर प्रश्न चिह्न लगाने जैसे कार्य नहीं होगा. सभी प्रबुद्ध लोग इसके सदस्य है और हमें अपने ही साथियों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. सभी को ब्लॉग पर आलेखों पर मत देने का अधिकार है लेकिन किसी को किसी विषय पर चुनौती देने जैसे भाषा का प्रयोग वर्जित है. आपतिजनक भाषा के आलेख , टिप्पणी ब्लॉग पर नहीं आने चाहिए. आने की स्थिति में सम्बंधित सदस्य से ऐसा न करने का आग्रह ३ बार किया जायेगा. पुनरावृत्ति होने पर सदस्य की पोस्ट प्रकाशन दो हफ्तों के लिए लंबित किया जा सकता है.
३ . ब्लॉग को लोकप्रिय बनने के लिए और इसके सदस्य होने के नाते सबसे ये आग्रह है कि राष्ट्र और राष्ट्र से जुड़े गौरव के अवसरों पर समसामयिक सामग्री पोस्ट करने का प्रयास करें.
४ . सभी सदस्यों के अपने स्वयं के पृथक ब्लॉग हैं और सबकी प्राथमिकता वही होती है लेकिन जिस परिवार के हम सदस्य है उस पर भी दृष्टि रखना और उसमें अपना सहयोग देना हमारा कर्त्तव्य बनता है अतः सभी सदस्यों से आग्रह है कि कम से कम १५ में एक पोस्ट इस पर डालने की कृपा करें.
५ . लिखने के लिए विषय कि कमी नहीं है, हमारा लेखन समाज और देश के हित में हो ऐसा प्रयास किया जाए. सामाजिक , नैतिक मूल्यों से जुड़े आलेखों का स्वागत है और यदि हम समस्या को उठते हैं तो उसकी संभावित निदान भी प्रस्तावित करें.
-रेखा श्रीवास्तव
अध्यक्षा LBA
उक्त बिन्दुओं को आप पढ़ें और यदि आपको भी इस विषय में कुछ कहना हो को कृपया टिपण्णी के माध्यम से बताएं.
अति-सुन्दर....बधाई रेखा जी...
स्वागत है ... पर कम से कम २ पोस्टो के बीच १२ घंटो का तो फर्क रखें ताकि इस तरह की जरूरी पोस्टो पर लोगो का धयान तो जा सके !
आगे आप स्वंय ज्ञानी है !
परन्तु "लखनऊ ब्लोगर्स एसोसिएशन" का उद्देश्य क्या है ?
सामूहिक ब्लॉग: समाधान या समस्या ?
अति-सुन्दर....बधाई रेखा जी...
अति-सुन्दर....बधाई रेखा जी...
रेखा जी के बनाए नियम सराहनीय हैं .
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मेरा मानना है की धर्म से हटके भी कोई क्या इंसान बना है? और धर्म के नाम पे ही सबसे अधिक नफरत भी फैलाई जाती है.
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इसलिए रेखा जी हर किसी को अपने धर्म की अच्छी बातें बताने की इजाज़त होनी चाहिए और दूसरों के धर्म के खिलाफ बोलने पे पाबन्दी.
यदि यह आप की नियमावली मैं नहीं आता है तो इस्पे विचार करें.
सादर
स.म.मासूम
शिवम् भाई,
आपकी बात विचारणीय है. पोस्ट के ऊपर पोस्ट डाल देने से पिछली पोस्ट नजर में नहीं आती . इसलिए मैं इस बात के लिए सभी सदस्यों से आग्रह करूगी कि एक पोस्ट के आने के बाद वे अपनी पोस्ट को schedule पर लगा दें जो कम से कम १२ घंटे का अंतर रखती हो. जिससे प्रत्येक पोस्ट को पढ़ने का समय मिले. इसके पालन से कई महत्वपूर्ण आलेख पर्याप्त ध्यान से वंचित नहीं रहेंगे .
आशा करती हूँ की सभी सदस्य इसको नीति नियम का अंग समझ कर इसपर ध्यान देंगे.
धन्यवाद.
भारत एक धर्म और अध्यात्म प्रधान देश है और आज देश को इन कल्याणकारी मूल्यों की जरूरत भी सबसे ज्यादा है । नैतिकता इसी पर अवलंबित है और इन्हीं मूल्यों कारण इंसान इंसान कहलाने का हकदार बनता है ।
मासूम साहब से सहमत होते हुए रेखा जी की नियमावली का स्वागत करता हूँ ।
योगेन्द्र जी,
किसी भी ब्लॉग का उद्देश्य क्या होता है? जब हम व्यक्तिगत ब्लॉग बनते हैं तो भी यही करते हैं कि अपनी अभिव्यक्ति को उजागर करते हैं . जब किसी साझा ब्लॉग को अपनाते हैं तो हमारा यही प्रयास होता है कि हम उसका उपयोग सामाजिक, नैतिक , राष्ट्रीय , धार्मिक विषयों के मानवीय दृष्टिकोण को अपनाते हुए अपनी अभिव्यक्ति को प्रस्तुत करें. ये अभिव्यक्ति आलेख , कहानी और कविता किसी भी रूप में होती है. समस्या सबकी होती है और समाधान हम उसके लिए खोज कर प्रस्तुत करते हैं. साझा ब्लॉग में बहुत से सदस्य होते हैं और यहाँ विषयों की विभिन्नता प्राप्त होती है.
मासूम भाई,
आपके विचार से मैं सहमत हूँ, ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए कोई बंधन नहीं लेकिन जो आक्षेप या दोष इंगित करने वाली भाषा या लेख होंगे उन पर सभी सदस्यों को आपति होगी अतः ऐसी सामग्री से बचें , यही हम सब और ब्लॉग के हित में है.
मेरा सभी सदस्यों से ये आग्रह है की सभी नीति नियम का स्वागत किया है और जिन लोगों को कोई भी आपत्ति जनक बात समझ आ रही हो , निसंकोच अपना विचार प्रस्तुत करें . सभी लोग इन नियमों का पालन करके अनुशासन को बनाये रखें.
समय अंतराल के संबंध में :
यहाँ प्रायः वही लेख डाले जाते हैं जिन्हें कि लेखक अपने निजी ब्लाग पर पहले ही डाल चुका होता है और फिर इसके पेज पर 5 पोस्ट्स दिखती हैं और इसके सदस्य भी बहुत हैं और आपके आमंत्रण के बाद लेख बढ़ने की आशा भी है ऐसे में नई पोस्ट डालने के लिए 2 घंटे का फ़र्क़ काफ़ी है । लोग आर्काइव की मदद से भी पढ़ते हैं ।
अगर कोई लेख मूलतः इसी ब्लाग के लिए लिखा गया है तब उसे 6 घंटे दिए जाएं ।
बराय करम समय के अंतराल पर ग़ौर करें ।
जल्दी जल्दी नये लेखोँ का आना बार बार पाठकों को आकर्षित करता है । 12 घंटे की बाध्यता एक पाठक को जो अब एक दिन में कई बार आता है , उसे एक बार ब्लाग देखने के बाद 12 घंटे के लिए बेफ़िक्र कर देगी ।
वैसे भी जो लेख हमारी वाणी की लिस्ट में हॉट हो जाता है , उसे देखा ही जाता है , BLOG ARCHIVE अपनी जगह है ही ।
केवल विवाद रोकिए बाक़ी सब ठीक चल रहा है ।
@ रेखा जी,
ठीक है तो यदि यही आपके मंच का उद्देश्य है कि लेखों को ज्यादा पाठक मिलें तो एक नियम और जोड़ दीजिए कि जो लेख इस मंच पर लिखा जाये उसको वो अपने ब्लॉग में प्रकाशित ना करें,
एक और महत्वपूर्ण बात आप धार्मिक विवादों को कैसे रोकने वालीं हैं?
और इस ब्लॉग के सदस्यों को दूसरों के ब्लॉग को निम्न स्तर का कहने का हक किसने दिया? डॉ. श्याम गुप्त की टिप्पणी पढ़िए मेरे ब्लॉग पर आप इसको कैसे रोकेंगी ?
रेखा जी का मशवरा सही है कि हर एक लेख को समय मिल ना चाहिये Dr. Ayaz Ahmad साहब के मशविरे को देख ते हुए यह सही रहेगा कि हर एक लेख को पहले पेज पे २४ घंटे रहने का समय मिले.
इस को देख्ते हुए एक दिन मे ५ लेख कि अनुमती सही रहेगी.
आदरणीया रेखा जी, सादर नमस्कार। मैं सुप्रसिद्ध सामूहिक मंच "LBA" की नियमावली से संतुष्ट हूँ। किंतु वर्तमान नियमावली पर्याप्त नहीं लग रही है। अपनी ओर से कुछ सुझाव देना चाहता हूँ-
1. जब भी कोई मंच से जुड़्ता है तो उसके लिए यह अनिवार्य हो कि वह मंच के नियमों को पढ़कर सहमति वाले संबंधित लिंक पर जाकर अपनी सहमति दे तब ही सदस्य बन सकेगा। ऐसी व्यवस्था उचित होगी क्योंकि नियमों की जानकारी सदस्य बनने के पहले ही होना चाहिए।
2. यदि किसी व्यक्ति को लंबित किया जाता है तो उसका नाम "LBA" पर प्रदर्शित होना चाहिए इससे गलत लिखने एवं गलत टिप्पणी करने के पहले ही लोगों के मन में डर पैदा होगा और वे कुछ भी लिखने या टिप्पणी करने से पहले अवश्य ही विचार करेगें।
3. वर्ष में एक बार सर्वश्रेष्ठ पोस्ट, सुझावदाता एवं टिप्पणी करने वाले को "LBA" की ओर से एक प्रमाण-पत्र देने की व्यवस्था की जाये। इससे लोगों की सोच सकारात्मक होगी और "LBA" में सुधार के साथ-साथ इसकी गतिविधियाँ भी बढेंगी।
4. "LBA" पर की गई पोस्ट को अपने ब्लॉग पर दिखाने की पाबंदी नहीं होना चाहिए क्योंकि व्यक्तिगत ब्लॉग और सामूहिक ब्लॉग़ के प्रशंसक अलग-अलग होते हैं। ऐसा करने से अधिकांश निजी ब्लॉगर अपने ब्लॉग़ पर अधिक सामग्री प्रकाशित करना चाहेगें न कि सामूहिक ब्लॉग पर क्योंकि पोस्ट जिस ब्लॉग पर प्रकाशित होती है समर्थक (followers) भी उसी ब्लॉग के माने जाते हैं और स्वभाविक है कि निजी ब्लॉगर अपने समर्थक (followers) बढाना चाहेगा न कि सामूहिक ब्लॉग के और इसका संभावित दुष्प्रभाव यह होगा कि "LBA" पर सामग्री का अभाव हो सकता है।
5. "LBA" और "IBA" दोनों के सदस्यों (Members) को हस्ताक्षरित प्रमाण-पत्र प्रदान किये जाएं इसका लाभ यह होगा कि प्रमाण-पत्र का महत्व अलग ही होता है और प्रत्येक व्यक्ति जब अन्य लोगों को उक्त प्रमाण-पत्र दिखाएगें तो इससे मंच के प्रचार एवं प्रसार में लाभ होगा और प्रशंसक एवं लेखक भी बढेंगे। साथ ही व्यक्ति प्रमाण-पत्र को अपनी नौकरी या किसी संस्था आदि जहां से भी वह जुड़ा है प्रदर्शित करके संभावित अतिरिक्त लाभ पा सकता है। क्योंकि अनेक स्थितियों में यह नहीं देखा जाता कि प्रमाण-पत्र कितना लाभकारी है या किसके द्वारा जारी किया गया है अपितु यह देखा जाता है कि व्यक्ति कितना एक्टिव है। इसलिए निःसंदेह प्रमाण-पत्र का लाभ मिलेगा।
सुश्री रेखा जी ,
L B A का अध्यक्ष बनने पर देर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनायें .
नियमावली पढी .लेखन के कुछ मार्गदर्शक एवं शालीन सिद्धांत होने चाहिए ,मै इससे सहमत हूँ .पर ऐसा भी नहीं लगना चाहिए कि नियमो की फेहरिस्त सुझाव देने की होड़ में इतनी लम्बी और उबाऊ हो जाये कि मौलिक अभिव्यक्ति कहीं सहमने न लगे .आशा करता हूँ कि
आपके कार्यकाल में L B A विवादमुक्त रह कर ब्लागर्स को कुछ ऐसा सृजन करने की प्रेरणा देगी जो सामाजिक सरोकारों को भी सकारात्मक व उद्देश्यपरक अभिव्यक्ति दे सकें .
शुभकामनाएँ.