कमर झुकाये लाठी टेके,
तन पर धोती एक लपेटे|
नंगे पैरों कठिन मार्ग पर,
चला जारहा कौन || ....चला जारहा मौन ||
'रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीता राम |'-
मधुरिम स्वर लहरी में गाता ,
चला जारहा कौन | ---चला जारहा मौन ||
'ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सबको सम्मति दे भगवान |'-
हम सबको है एक्य बताता ,
चला जारहा कौन |-----चला जारहा मौन ||
ये तो अपने राष्ट्र-पिता हैं,
ये तो अरे महात्मा गांधी |
ये तो विश्व-बंद्य बापू हैं ,
ये तो रे इस युग की आँधी ||
ये तो कलियुग के मोहन हैं,
ये बच्चों के गांधी-बाबा |
ये भारत के लौह पुरुष हैं,
ये भारत के भाग्य विधाता ||
पत्थर पर पद-चिन्ह बनाता,
आज़ादी की राह दिखाता |
सारा जग है जिसके पीछे,
चला जारहा मौन ||
चला जारहा कौन|
चला जारहा मौन ||
bilkul sarasach
kab tak rahenge maun.
धन्यवाद ...सारासच ..
--सही कहा हरीश जी...कब तक रहेंगे मौन...
रहिमन पावस देखि कैं
भये कीर-पिक मौन ।
अब दादुर वक्ता भये,
हमें पूछिहै कौन ॥