कवि सुधीर गुप्ता "चक्र"
की ओर से
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
प्रस्तुत है होली पर दो क्षणिकाएँ
(1)
होली पर हमें
उनका व्यवहार
बहुत भाता है
हमारा खर्चा बच जाता है
क्योंकि
उनके चेहरे पर
रंग डालने से पहले ही
उनका चेहरा
गुस्से से लाल हो जाता है।
(2)
जब भी
होली का दिन आता है
वह भिखारी
बडा खुश हो जाता है
क्योंकि
उसी दिन तो वह
फटे-पुराने कपडे पहनकर
समाज में गले मिल पाता है ।
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
प्रस्तुत है होली पर दो क्षणिकाएँ
(1)
होली पर हमें
उनका व्यवहार
बहुत भाता है
हमारा खर्चा बच जाता है
क्योंकि
उनके चेहरे पर
रंग डालने से पहले ही
उनका चेहरा
गुस्से से लाल हो जाता है।
(2)
जब भी
होली का दिन आता है
वह भिखारी
बडा खुश हो जाता है
क्योंकि
उसी दिन तो वह
फटे-पुराने कपडे पहनकर
समाज में गले मिल पाता है ।
आइए आज के दिन हम संकल्प लें कि दूसरों के प्रति कटुता और बुराईयों को तुरंत ही त्याग कर अपनी दोस्ती को नया आयाम दें। बिछुडे मित्रों को स्मरण करें और कुछ नए मित्र बनाएँ।
शुभकामानाओं सहित आपका सहयोगी साथी
शुभकामानाओं सहित आपका सहयोगी साथी
कवि सुधीर गुप्ता "चक्र"
हैप्पी होली!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
bhut khubsurat or sahi baat kahi aapne...aapko v holi ki dero badhaiya...aap mere blog pe aaye or meri kavita padhi..iske lie tahe dil se dhanybad aapka...
dusri kshani ek dam sateek.