भारतीय नव वर्ष.....
मनहरण कवित्त -
(१६-१५, ३१ वर्ण , अंत गुरु-गुरु.-मगण )
अपना तो नव वर्ष चैत्र में होता प्रारम्भ ,
खेत बाग़ वन जब हरियाली छाती है |
सरसों चना गेहूं सुगंध फैले चहुँ ओर ,
हरी पीली साड़ी ओड़े भूमि इठलाती है |
घर घर उमंग में झूमें जन जन मित्र ,
नव अन्न की फसल कट कर आती है |
वही है हमारा प्यारा भारतीय नव वर्ष ,
ऋतु भी सुहानी तन मन हुलसाती है ||
मनहरण कवित्त -
(१६-१५, ३१ वर्ण , अंत गुरु-गुरु.-मगण )
अपना तो नव वर्ष चैत्र में होता प्रारम्भ ,
खेत बाग़ वन जब हरियाली छाती है |
सरसों चना गेहूं सुगंध फैले चहुँ ओर ,
हरी पीली साड़ी ओड़े भूमि इठलाती है |
घर घर उमंग में झूमें जन जन मित्र ,
नव अन्न की फसल कट कर आती है |
वही है हमारा प्यारा भारतीय नव वर्ष ,
ऋतु भी सुहानी तन मन हुलसाती है ||
वाह क्या बात है! कितनी अच्छी कविता लिखी है!
नव संवत्सर 2068 की ढेरों शुभकामनाएँ।
हिन्दू नवसंवत्सर २०६८ की हार्दिक शुभकामनाएँ
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/04/hindi-twitter.html
धन्यवाद पान्डे जी व जमाल साहब....
हिन्दू नवसंवत्सर २०६८ की हार्दिक शुभकामनाएँ