दूर जाके मुझसे बना लिए ठिकाने
अलग रहने के बना लिए बहाने
बिछड़ के तुमने बहुत अश्क़ हैं दिए
उन्हीं अश्क़ से हमने बना लिए फ़साने
दौलत पे अपने तुम्हें रश्क है बहुत
हमने मुफ़लिसी को बना लिए ख़जाने
शहनाई बज उठी जब लाश पे 'सलीम'
मैंने उन्ही से अब अपने बना लिए तराने
महलों में रहने वाली तुम खुश रहो सदा
हमने तो खंडहर में अब बना लिए ठिकाने
महलों में रहने वाली तुम खुश रहो सदा
हमने तो खंडहर में अब बना लिए ठिकाने
vah bhai vah.bahut khoob.