सभी मित्रों को 'श्रावणी' पर्व की शुभकामनायें!!
एक छप्पय:
लेकर पूजन-थाल सवेरे बहिना आई.
उपजे नेह प्रभाव, बहुत हर्षित हो भाई..
पूजे वह सब देव, तिलक माथे पर सोहे.
बाँधे दायें हाथ, शुभद राखी मन मोहे..
हों धागे कच्चे ही भले, बंधन दिल का शेष है..
पुनि सौम्य उतारे आरती, राखी पर्व विशेष है..
दो कुण्डलियाँ:
(1)
रक्षा बंधन पर्व दे, खुशियाँ शत अनमोल,
बहना-भैया हैं मगन, मीठा-मीठा बोल.
मीठा-मीठा बोल, सभी से बढ़कर आगे.
बंधन सदा अटूट, बने राखी के धागे,
अम्बरीष यह नेह, सदा दे यह ही शिक्षा.
बहना बसी विदेश, करें मिल इसकी रक्षा..
(2)
आई श्रावण-पूर्णिमा, रक्षाबंधन नाम,
जन-जन में उल्लास है, हर्षित अपने राम.
हर्षित अपने राम, खिलाये सिवईं बहना,
सदा रहे खुशहाल,यही हम सबका कहना.
अम्बरीष जो आज, प्रकृति खुशहाली लाई.
सब वृक्षों को बाँध, सभी संग राखी भाई..
• अम्बरीष श्रीवास्तव
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