छंद सलिला:
झूलनाछंद
संजीव
*
*
छंद लक्षण: जाति महाभागवत, प्रति पद २६ मात्रा,
यति ७-७-७-५, पदांत गुरु लघु
लक्षण छंद:
हरि! झूलना , मत भूलना , राधा कहें , हँस झूम
घन श्याम को , झट दामिनी , ने लिया कर , भर चूम
घन श्याम को , झट दामिनी , ने लिया कर , भर चूम
वेणु सुर ऋषि , वचन सुनने , लास-रास क/रें मौन
कौन किसका , कब हुआ है? , बोल सकता / रे! कौन?
उदाहरण:
१. मैं-तुम मिले , खो, गुम हुए , फिर हम बने , इकजान
पद-पथ मिले , मंज़िल हुए , हमदम हुए , अनजान
पद-पथ मिले , मंज़िल हुए , हमदम हुए , अनजान
गेसू खुले , टेसू खिले , सपने हुए , साकार
पलकें खुलीं , अँखियाँ मिलीं , अपने हुए , दिलदार
२. पथ पर चलें , गिर-उठ बढ़ें , नभ को छुएँ , मिल साथ
प्रभु! प्रार्थना , आशीष दें , ऊँचा उठा , हो माथ
खुद से न आँ/खें चुराने , की घड़ी आ/ये तात!
हौसलों की , फैसलों से , मत हो सके , रे मात खुद से न आँ/खें चुराने , की घड़ी आ/ये तात!
३. देश-गौरव , से नहीं है , अधिक गौरव , सच मान
देश हित मर-मर अमर हों , नित्य शहीद, हठ ठान
है भला या , है बुरा- है , देश अपना , मजबूत
संभावना , सच करेंगे , संकल्प है , शुभ-पूतहै भला या , है बुरा- है , देश अपना , मजबूत
*********
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामरूप, कामिनीमोहन, काव्य, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गीता, गीतिका, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मदनाग, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, रसाल, राजीव, राधिका, रामा, रूपमाला, रोला, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विरहणी, विशेषिका, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, शोभन, शंकर, सरस, सार, सारस, सिद्धि, सिंहिका, सुखदा, सुगति, सुजान, सुमित्र, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.
0 पाठकों ने अपनी राय दी है, कृपया आप भी दें!