भारत में तथाकथित बाबाओं की काली करतूतों की श्रृंखला में बाबा 'रामरहीम' का नाम आज सबसे ऊपर है . वोटों के लालच में राजनेताओं का इन बाबाओं से प्रेम जग जाहिर हो चुका है. पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी उनके भक्तों को एकत्र होने देना और जैसी कि आशंका थी, कोर्ट के फैसले के बाद हिंसा होना ,सरकार की नाकामी का सूचक है. हाईकोर्ट ने पुन: सरकार को फटकार लगाते हुये कहा कि उसने राजनीतिक लाभ की दृष्टि से हिंसा होने दी.
अब रामरहीम जेल में हैं. कोर्ट ने सरकार को उनकी संपत्ति जब्त करने व उससे हिंसा में हुये नुकसान की भरपायी करने का आदेश दिया है.
हद तो यह है कि कुछ महाराज टाइप के सांसद इन बाबा के मामले में न्यायपालिका को कोस रहे हैं. उनका कहना है कि न्यायपालिका को निर्णय देते समय जनभावनाओं का ध्यान रखना चाहिये .यह सांसद भाजपा के हैं और विवादास्पद बयान देने में माहिर हैं. बयान देते समय वे यह भी भूल गये कि इस प्रकरण की सी.बी.आई. जॉच का आदेश उनकी पार्टी के इतिहास पुरुष पूर्व प्रधानमंत्री श्रीअटल बिहारी बाजपेयी ने ही दिये थे.
सच तो यह है कि न्यायपालिका ही इस देश के संविधान को बचाये हुये है,वरना राजनेता तो वोटों के लालच में देश का बंटाधार ही कर दें.
लोकप्रिय कवि प्रदीप ने छह दशक पहले अपने गीत 'कितना बदल गया इंसान ' गीत में निम्नांकित पंक्तियॉ लिखी थीं वे आज उस समय से अधिक प्रासंगिक सिद्ध हो रहीं हैं.
"राम के भक्त रहीम के बंदे,
रचते आज फ़रेब के फंदे.
कितने ये मक्कार ये अंधे,
.देख लिये इनके भी धंधे.
इन्हीं की काली करतूतों से
बना ये मुल्क मशान.
कितना बदल गया इंसान।"
--डा.आदित्य कुमार
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