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शब्दाक्षर के मिले पुजारी
महक उठी हिंदी की क्यारी
गति-यति, लय-रस की वर्षा है
काव्य कामिनी की छवि न्यारी
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पुष्पाती क्यारी हिंदी की, नई बहारें आई हैं
देख प्रभा श्री, करें अर्चना श्रेष्ठ अल्पना भाई है
नित रवींद्र आ करे वंदना, मौन सुनील गगन सारा -
सलिल करे अभिषेक धन्य हो, महिमा श्रम की गाई है।
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महक उठी हिंदी की क्यारी
गति-यति, लय-रस की वर्षा है
काव्य कामिनी की छवि न्यारी
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पुष्पाती क्यारी हिंदी की, नई बहारें आई हैं
देख प्रभा श्री, करें अर्चना श्रेष्ठ अल्पना भाई है
नित रवींद्र आ करे वंदना, मौन सुनील गगन सारा -
सलिल करे अभिषेक धन्य हो, महिमा श्रम की गाई है।
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