दोहा सलिला
अदरक थोड़ी चूसिये, अजवाइन के साथ
हो खराश से मुक्ति तब, कॉफ़ी भी लें साथ
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स्वास्थ्य संपदा है सलिल, सचमुच ही अनमोल
वह खाएँ जो पच सके, रखें याद यह बोल
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सुख पाने के हेतु कर, हर दिन नया उपाय
मन न पराजित हो अगर, विधना हो निरुपाय
मन न पराजित हो अगर, विधना हो निरुपाय
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मन प्रशांत हो तो करे, पूर्ण शक्ति से काम.
मन अशांत हो यदि 'सलिल', समझें विधना वाम
मन अशांत हो यदि 'सलिल', समझें विधना वाम
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मिश्र न हो सुख-दुख अगर, जीवन हो रसहीन
बने 'सलिल' रसखान यदि, रहे सदा रसलीन
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सुख पाने के हेतु कर, हर दिन नया उपाय
मन न पराजित हो अगर, विधना हो निरुपाय
मन न पराजित हो अगर, विधना हो निरुपाय
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१०-११-२०१७
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