सत्यजीत से मिल गले, मिला बहुत आनंद
मृदुल मधुर मुस्कान ज्यों, बिखरा कोई छंद
कांता की तेजस्विता, अद्भुत लगन-जुनून
श्वास-श्वास में लघुकथा, ज्यों भोजन में नून
भेंटी 'अतहर-अकेला', की कृतियाँ सानंद
पढ़ें-गुनें फिर-फिर 'सलिल', मुख मंडल हो चंद
सलिल कांता सत्यजीत, अरु मधु पवन प्रभात
सह नरेंद्र लघुकथा पर, करें निरंतर बात
३०-१२-२०१६
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