कार्यशाला
छंद बहर दोउ एक हैं
२ (रगण लघु मगण) = २ (राजभा लघु मातारा) = २ (२१२ १ २२२)= १४ वर्ण / २४ मात्रा, पदांत २२२
सूत्र- २ x रलम
चौदह वर्णीय शर्करी जातीय छंद / चौबीस मात्रीय अवतारी जातीय छंद
बहर- फाइलुं मुफाईलुं फाइलुं मुफाईलुं = २१२ १२२२
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मुक्तक
मौन क्यों धरा?, तोड़ो, सेतु बात का जोड़ो
मंजिलें नहीं सीधी, राह को सदा मोड़ो
बात-बात में रूठे, बात-बात में माने
रूपसी लुभाती है, हाथ थाम ना छोड़ो
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रूप की अदा प्यारी, रूपसी लगे न्यारी
होश होश खो बैठे, खूब तू मुझे भा री!
मौन ही रहा मानी, मूक हो रही बानी
रात नींद की बैरी, वाक् धार दोधारी
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बात ठीक बोलूँगा, राज मैं न खोलूँगा
काम-काज क्या बोलो, व्यर्थ मैं न डोलूँगा
बात कायदे की हो, ना कि फायदे की हो
बाध्यता न मानूँ मैं, बोल-बोल तोलूँगा
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साम्य-
अ. २(गुरु जगण मगण) = २ (गुरु जभान मातारा) = २ (२ १२१ २२२) = १४ वर्ण/ २४ मात्रा, पदांत २२२,
सूत्र- २ x गजम,
आ. २(रगण यगण गुरु) २ (राजभा यमाता गुरु) = २ (२१२ १२२ २ १४ वर्ण/ २४मात्रा, पदांत २२२,
सूत्र- २ x रयग
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१२-१२-२०१६
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