विधान - ८ रगण
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
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राम हैं श्याम में, श्याम हैं राम में, ध्याइए-पाइए, कीर्ति भी गाइए।
कौन लाया कभी, साथ ले जा सका, जोड़ जो जो मरा, सोच ले आइए।।
कल्पना-कामना, भावना-याचना, वासना हो छले, भूल मुस्काइए।
साधना वंदना प्रार्थना अर्चना, नित्य आराधिए, मुक्त हो जाइए।।
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२४-१२-२०२०
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