यक्ष प्रश्न २ - कायस्थ
उपनिषद कहते हैं-
१. 'काया स्थिते स: कायस्थ:' अर्थात जब वह (निराकार परमात्मा) काया में स्थित (साकार) होता है तो कायस्थ कहलाता है।
२. चित्रगुप्त प्रणम्यादौ वात्मानम सर्व देहिनाम' अर्थात सभी देहधारियों में आत्मा रूप में बसे चित्रगुप्त (चित्र आकार से बनता है, चित्र गुप्त है अर्थात नहीं है क्योंकि परमात्मा निराकार है) को सबसे पहले प्रणाम।
इसीलिए सशक्त और समृद्ध होने पर भी वैदिक काल से १०० वर्ष पूर्व तक चित्रगुप्त जी के मंदिर, मूर्ति, पुराण, कथा, आरती, भजन, व्रत आदि नहीं बनाये गए. स्वयं को चित्रगुप्त का वारिस माननेवाला समुदाय गणेश, शिव, शक्ति, विष्णु, बुद्ध, महावीर, आर्य समाज, युगनिर्माण योजना, साई बाबा आदि एक अनुयायी होते रहे। कण-कण में भगवान् और कंकर कंकर में शंकर के आदि सत्य को स्वीकार कर देश और समाज के प्रति समर्पित रहा . अब अन्यों की नकल पर ये भी मंदिर, मूर्ति और जन्मना जातीयता के शिकार हो रहे हैं।
*
२९-१२-२०१६
0 पाठकों ने अपनी राय दी है, कृपया आप भी दें!