https://youtu.be/206YJkTZPP4
स्वागत वंदन
काव्य मंजरी झूम, अक्षर-वाणी मिले जब।
पूजा कर रस-भूमि, रेखा-लेखा शब्द की।।
नाप क्षितिज को आज, उड़े समय-पाखी विहँस।
छेड़े मनहर साज, ऊषा ज्योति मनोरमा।।
सुंदर श्याम विशेष, छटा सलोनी सुनीता।
माया छटा अशेष, अग्र वाल पर हो सदा।।
आगत है नव वर्ष, है प्रताप जगदीश का।
विष्णु लुटाए हर्ष, जीव 'सलिल' संजीव हों।।
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१-१-२०२१
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