नवगीत:
पहले गुना
संजीव
*
पहले गुना
तब ही चुना
जिसको तजा
वह था घुना
*
सपना वही
सबका बना
छत हो सका
सर पे तना
जिसके लिए
सिर था धुना
*
अरि जो बना
जल वो भुना
सच को कहाँ
उसने गुना
वह था कहा
सच जो सुना
.
(प्रयुक्त छंद: हरिगीतिका)
४.१.२०१५
नवगीत:
पहले गुना
४.१.२०१५
0 पाठकों ने अपनी राय दी है, कृपया आप भी दें!