दोहा सलिला
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
*
आगमन आ गमन मत कर, कर ह्रदय में वास
शब्द समिधा कर समर्पित, दे सुगंध सुवास
*
कांता सम्मति मानिए, दीपालीवत दीप्त
कंचन सम अनमोल भी, है कुलदीप प्रदीप्त
*
सरिता बने न कल्पना, रीता रहे न घाट
हो न प्रदूषित पवन अब, मंजु विमल हो पाट
*
जयश्री ममता-विनय से , मिलती विमला कांति
धार अनीता में खिले, पंकज रूही शांति
***
*
आगमन आ गमन मत कर, कर ह्रदय में वास
शब्द समिधा कर समर्पित, दे सुगंध सुवास
*
कांता सम्मति मानिए, दीपालीवत दीप्त
कंचन सम अनमोल भी, है कुलदीप प्रदीप्त
*
सरिता बने न कल्पना, रीता रहे न घाट
हो न प्रदूषित पवन अब, मंजु विमल हो पाट
*
जयश्री ममता-विनय से , मिलती विमला कांति
धार अनीता में खिले, पंकज रूही शांति
***
९४२५१८३२४४
0 पाठकों ने अपनी राय दी है, कृपया आप भी दें!