मुक्तक
संजीव
विधान : ३०वर्ण, भ य र त म न स न भ य।
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अंबर निराला, नीलिमा में लालिमा घोले, मगन मन लीन चुप है, कुछ न बोले।
उषा भास्कर उजाला, कालिमा पी मस्त हो डोले, मनुज जग गीत नव गा, उठ अबोले।।
करे स्वागत उसी का, भाग्य जो नैना न हो मूँदे, डगर पर हो विचरता, हर सवेरे।
बहाए हँस पसीना, कामना ले काम ना छोड़े, फिसल कर हो सँभलता, सफल हो ले।
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