बसंत
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श्वास-श्वास आस-आस झूमता बसन्त हो।
मन्ज़िलों को पग तले चूमता बसन्त हो।।
भू-गगन हुए मगन दिग-दिगन्त देखकर-
लिए प्रसन्नता अनंत घूमता बसन्त हो।।
श्वास-श्वास आस-आस झूमता बसन्त हो।
मन्ज़िलों को पग तले चूमता बसन्त हो।।
भू-गगन हुए मगन दिग-दिगन्त देखकर-
लिए प्रसन्नता अनंत घूमता बसन्त हो।।
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साथ-साथ थाम हाथ ख्वाब में बसन्त हो
अँगना में, सड़कों पर, बाग़ में बसन्त हो
तन-मन को रँग दे बासंती रंग में विहँस
राग में, विराग में, सुहाग में बसन्त हो
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अपना हो, सपना हो, नपना बसन्त हो
पूजा हो, माला को जपना बसन्त हो
मन-मन्दिर, गिरिजा, गुरुद्वारा बसन्त हो
जुम्बिश खा अधरों का हँसना बसन्त हो
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अक्षर में, शब्दों में, बसता बसन्त हो
छंदों में, बन्दों में हँसता बसन्त हो
विरहा में नागिन सा डँसता बसन्त हो
साजन बन बाँहों में कसता बसन्त हो
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मुश्किल से जीतेंगे कहता बसन्त हो
किंचित ना रीतेंगे कहता बसन्त हो
पत्थर को पिघलाकर मोम सदृश कर देंगे
हम न अभी बीतेंगे कहता बसन्त हो
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मन में लड्डू फूटते आया आज बसंत
गजल कह रही ले मजा लाया आज बसंत
मिली प्रेरणा शाल को बोली तजूं न साथ
सलिल साधना कर सतत छाया आज बसंत
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वंदना है, प्रार्थना है, अर्चना बसंत है
साधना-आराधना है, सर्जना बसंत है
कामना है, भावना है, वायदा है, कायदा है
मत इसे जुमला कहो उपासना बसंत है
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शब्देश है, भावेश है, छ्न्देश मौन बसंत है
मिथलेश है, करुणेश है, कहिए न कौन बसंत है?
कांता है, कल्पना है, ज्योति, आभा-प्रभा भी
विनीता, मधु, मंजरी, शशि, पूर्णिमा बसंत है
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