ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः |
(हरिगीतिका छंद आधारित मुक्तक,
चार चरण, प्रत्येक में २८ मात्रा, समापन लघु गुरु से)
साहित्य अभियंत्रण कला संगीत स्वर अंतस भरें,
झंकार वीणा की मधुर सुन शीश चरणों में धरें.
मष्तिष्क के हर बिंदु में माँ रूप तेरा आ बसे,
मन बांसुरी बन बज उठे जब ध्यान तेरा हम करें..
--इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'
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