कौन बताये?
संजीव
.
कब टूटे
साँसों की डोरी
कौन बताये?
.
वो रोये
परदेस में,
टूटी चूड़ी एक.
पास रखूँ
हो अपशकुन,
कैसे दूँ
कह फेंक?
चुप रूठे
गोरी से साजन
कौन मनाये?
.
चट्टानों को
काट दे,
बहता आँसू गर्म.
टूटे छेनी
पर नहीं,
भेद सके
मन-मर्म.
मत तजना रे!
जोरा-जोरी,
फागुन भाये.
२३-२-२०१५
*
संजीव
.
कब टूटे
साँसों की डोरी
कौन बताये?
.
वो रोये
परदेस में,
टूटी चूड़ी एक.
पास रखूँ
हो अपशकुन,
कैसे दूँ
कह फेंक?
चुप रूठे
गोरी से साजन
कौन मनाये?
.
चट्टानों को
काट दे,
बहता आँसू गर्म.
टूटे छेनी
पर नहीं,
भेद सके
मन-मर्म.
मत तजना रे!
जोरा-जोरी,
फागुन भाये.
२३-२-२०१५
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