परम आदरणीय आदमखोर हिन्दू टाईगर्स जी,
आप ने हमारी पोस्ट के जवाब में लिखा है कि माओवादी व नक्सलवादियो ने मुसलमानों का समर्थन कर हिन्दुवों के घर उजाड़ दिए हैं इसीलिए हमने अपनी पोस्ट का शीर्षक आप की सोच के अनुरूप ही रखा है माओवादी या नक्सलवादियो ने कभी धर्म के आधार पर कोई भी विभेद नहीं किया है न इतिहास में इसका कोई उदहारण भी है जब आर्थिक सामाजिक राजनितिक व्यवस्था भ्रष्टाचारियों के चंगुल में फंस जाती है तो हिंसा आधारित प्रतिशोध के रूप में तमाम विकृत मानसिकता वाले लोग व्यक्तिगत हिंसा पर उतारू हो जाते हैं अगर इन समस्याओं से निपटना है तो एक बेहतर व्यवस्था की जरूरत है आप जैसे लोग हिन्दू, मुसलमान भाषा जाति आधारित बातें उठाकर समाज में विघटन पैदा करना चाहते हैं समाज हमेशा से शोषक व शोषित समूहों में बनता हुआ है इस अंतर्द्वंद में न शोषकों की कोई जाति या धर्म है न शोषितों की है आप की कलम कभी भी हल्दी में रामरज मिलाने वालों पीसी धनिया में घोड़े की लीद मिलाने वाले नकली दवा बेचने वाले या जितने तरह के आर्थिक अपराधी हैं उनके खिलाफ नहीं उठेगी वही सब आपके असली भाई बन्धु हैं परतंत्र भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ आप जैसे लोगों की कलम कभी नहीं उठी हाँ आजादी की लड़ाई कमजोर हो जाए उसके लिए जातियो और धर्म भाषा के आधार पर विभाजनकारी लेखों को लिख कर भावनात्मक रूप से विघटन पैदा किया है । मिलावटखोर जमाखोर भ्रष्टाचारियों का जरा सा धर्म देखो। पकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले लोगों की लिस्ट धर्म के आधार पर देखो मामला समझ में आ जायेगा।
आप ने दूसरा मामला यह उठाया कि सन 2000 में गुजरात के साबरमती ट्रेन में आग लगा दी गयी थी जिसमें 58 हिन्दू जलकर मर गए थे मैं कहता हूँ कि 58 भारतीय नागरिक मर गए थे आप को एतराज है। जिस ट्रेन की आप बात लिख रहे हैं वह ट्रेन बाराबंकी होकर ही अयोध्या जाती है । उस समय आपका ही अयोध्या कार्यक्रम चल रहा था आप के लोग जाते समय ही आम नागरिको के साथ बदतमीजी बदसलूकी कर रहे थे औरतों को छेड़ रहे थे और ट्रेन जाते समय बाराबंकी के रुदौली स्टेशन पर आप के ट्रेन सवार गुंडों ने प्लेटफ़ार्म पर भी बदतमीजी की थी जिस पर यात्रियों के व्यापक प्रतिरोध के कारण बड़ी घटना होने से बच गयी थी जी.आर.पि बाराबंकी ने किसी तरह मामले को निपटाया था जब वही ट्रेन वापस हुई तो उत्तर प्रदेश जी.आर.पी ने अपने विशेष संरक्षण में ट्रेन को उत्तर प्रदेश की सीमा पार कराइ थी और अंत में गोधरा ट्रेन पहुँचते-पहुँचते आप के तथाकथित गुंडों ने ट्रेन को फूँक डाला था ताकि पूरे देश में गृह युद्झ जैसी स्तिथि बन जाए और हिन्दू धर्म के मतावलम्बी आप के पक्षधर हो जाएँ लेकिन आपका दुर्भाग्य है की बहुसंख्यक हिन्दू मतावलंबी आप के साथ रहा है न रहेगा आप के प्रखर राष्ट्र वाद के प्रणेता गानों में से ज्यादातर मिलावट खोर जमाखोर और भ्रष्टाचारी हैं बंगारो से शुरू करिए और संजय जोशी तक चले आइये। स्तिथि पूर्णतया आप की समझ में आ जाएगी।
सवामी लक्ष्मणानन्द की हत्या हुई आपने ईसाईयों के ऊपर आरोप लगा कर कंधमाल व उससे सटे हुए इलाकों में ईसाईयों का नरसंहार किया ये हक़ आपको कहाँ से मिला। क्या भारतीय संविधान से ? भारतीय कानून व्यवस्था से ? यदि नहीं तो आप ने उनका क्यों नरसंहार किया ? जब मामले को ख़तम करने के लिए माओवादियों ने कहा हत्या हमने की तो आप दम दबा कर बैठ गए और खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे वाली स्तिथि में ध्यानस्थ हो गए इतिहास तुम्हे माफ़ नहीं करेगा ।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
आप ने हमारी पोस्ट के जवाब में लिखा है कि माओवादी व नक्सलवादियो ने मुसलमानों का समर्थन कर हिन्दुवों के घर उजाड़ दिए हैं इसीलिए हमने अपनी पोस्ट का शीर्षक आप की सोच के अनुरूप ही रखा है माओवादी या नक्सलवादियो ने कभी धर्म के आधार पर कोई भी विभेद नहीं किया है न इतिहास में इसका कोई उदहारण भी है जब आर्थिक सामाजिक राजनितिक व्यवस्था भ्रष्टाचारियों के चंगुल में फंस जाती है तो हिंसा आधारित प्रतिशोध के रूप में तमाम विकृत मानसिकता वाले लोग व्यक्तिगत हिंसा पर उतारू हो जाते हैं अगर इन समस्याओं से निपटना है तो एक बेहतर व्यवस्था की जरूरत है आप जैसे लोग हिन्दू, मुसलमान भाषा जाति आधारित बातें उठाकर समाज में विघटन पैदा करना चाहते हैं समाज हमेशा से शोषक व शोषित समूहों में बनता हुआ है इस अंतर्द्वंद में न शोषकों की कोई जाति या धर्म है न शोषितों की है आप की कलम कभी भी हल्दी में रामरज मिलाने वालों पीसी धनिया में घोड़े की लीद मिलाने वाले नकली दवा बेचने वाले या जितने तरह के आर्थिक अपराधी हैं उनके खिलाफ नहीं उठेगी वही सब आपके असली भाई बन्धु हैं परतंत्र भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ आप जैसे लोगों की कलम कभी नहीं उठी हाँ आजादी की लड़ाई कमजोर हो जाए उसके लिए जातियो और धर्म भाषा के आधार पर विभाजनकारी लेखों को लिख कर भावनात्मक रूप से विघटन पैदा किया है । मिलावटखोर जमाखोर भ्रष्टाचारियों का जरा सा धर्म देखो। पकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले लोगों की लिस्ट धर्म के आधार पर देखो मामला समझ में आ जायेगा।
आप ने दूसरा मामला यह उठाया कि सन 2000 में गुजरात के साबरमती ट्रेन में आग लगा दी गयी थी जिसमें 58 हिन्दू जलकर मर गए थे मैं कहता हूँ कि 58 भारतीय नागरिक मर गए थे आप को एतराज है। जिस ट्रेन की आप बात लिख रहे हैं वह ट्रेन बाराबंकी होकर ही अयोध्या जाती है । उस समय आपका ही अयोध्या कार्यक्रम चल रहा था आप के लोग जाते समय ही आम नागरिको के साथ बदतमीजी बदसलूकी कर रहे थे औरतों को छेड़ रहे थे और ट्रेन जाते समय बाराबंकी के रुदौली स्टेशन पर आप के ट्रेन सवार गुंडों ने प्लेटफ़ार्म पर भी बदतमीजी की थी जिस पर यात्रियों के व्यापक प्रतिरोध के कारण बड़ी घटना होने से बच गयी थी जी.आर.पि बाराबंकी ने किसी तरह मामले को निपटाया था जब वही ट्रेन वापस हुई तो उत्तर प्रदेश जी.आर.पी ने अपने विशेष संरक्षण में ट्रेन को उत्तर प्रदेश की सीमा पार कराइ थी और अंत में गोधरा ट्रेन पहुँचते-पहुँचते आप के तथाकथित गुंडों ने ट्रेन को फूँक डाला था ताकि पूरे देश में गृह युद्झ जैसी स्तिथि बन जाए और हिन्दू धर्म के मतावलम्बी आप के पक्षधर हो जाएँ लेकिन आपका दुर्भाग्य है की बहुसंख्यक हिन्दू मतावलंबी आप के साथ रहा है न रहेगा आप के प्रखर राष्ट्र वाद के प्रणेता गानों में से ज्यादातर मिलावट खोर जमाखोर और भ्रष्टाचारी हैं बंगारो से शुरू करिए और संजय जोशी तक चले आइये। स्तिथि पूर्णतया आप की समझ में आ जाएगी।
सवामी लक्ष्मणानन्द की हत्या हुई आपने ईसाईयों के ऊपर आरोप लगा कर कंधमाल व उससे सटे हुए इलाकों में ईसाईयों का नरसंहार किया ये हक़ आपको कहाँ से मिला। क्या भारतीय संविधान से ? भारतीय कानून व्यवस्था से ? यदि नहीं तो आप ने उनका क्यों नरसंहार किया ? जब मामले को ख़तम करने के लिए माओवादियों ने कहा हत्या हमने की तो आप दम दबा कर बैठ गए और खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे वाली स्तिथि में ध्यानस्थ हो गए इतिहास तुम्हे माफ़ नहीं करेगा ।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
lal chshma chdha kr to sb lal hi lal dikhai dega jra chshma hata kr dekho to schchai njr aayegi ydi sb bhartiy hain to fir aap ki srkar dhrm [jo dhrm hai nhi mt hai ]ke aadhar pr muslim rag kyon alap rhi hai kyon sb ko bhartiy nhi man rhi hai sman nagrik kanoon kyon nhi bnaye ja rhe jb ki srvochch nyayaly bhi kh chuka hai bhed to aap ne tsleema ke sath kiya kya 2 ginoge khud hi jante ho jra kashmir me ja kr vhan ke mool nivasi pnditon ki bat to kro ydi aap me thodi bhi insaniyt hai
dr ved vyathit