परमआदरणीय हिन्दू टाईगर्स,
सुनील दत्त जी ये आदमखोर टाईगर मरियल सा है और भूखा भी है 1925 में विजयदशमी के दिन राम लीला में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने अपने धनुष से रावण की नाभि का अमृत सूखा कर वध किया था उस रक्त से पैदा हुए रक्त बीजों से तथाकथित टाईगर्स पैदा हुए हैं जो नीति और अनीति न्याय और संप्रभुता का अर्थ ही नहीं समझ सकते कुछ रटी रटाई कुछ विशेष शब्दों का प्रयोग करके आप फौरी तौर पर उत्साहित जरूर हो सकते हैं लेकिन भारतीय जनमानस का हिस्सा नहीं हो सकते हैं चाहे रक्त बीजों से उत्पन्न शिव और राम की सेनायें वास्तव में रावणी सेना हैं सावन के अंधे को सब कुछ हरा-हरा ही दीखता है हम कभी भी किसी भी हत्या को जायज नहीं कहते हैं गोधरा में मरे 58 लोगों की हत्या हत्या है। उसको जाति और नस्ल के आधार पर बांटना उचित नहीं होता है। ' चाहे हिन्दू मरे या मुसलमान दोनों को एक सा कफ़न चाहिए यही सही है जब कोई मरता है तो उस पर आश्रित परिवार की तरफ नजर उठा कर देखिये रक्त बीजों से उत्पन्न ने गुजरात में जो नरसंहार किया है उसके पक्ष धर आप हैं मैं नहीं '।
आतंकवाद का मुख्य उद्गमस्थल अमेरिका का व्हाईट हाउस है जो पूरे एशिया में मोसाद के साथ मिलकर तबाही मचाये हुए है आप धर्मनिरपेक्षता में ही अटके हुए हैं असली है या नकली। आतंकवाद में आप कभी मुख्य बिंदु के ऊपर कभी चर्चा नहीं करोगे क्योंकि अमेरिकन साम्राज्यवाद आपका मुख्य प्रेरणा स्रोत्र है जब तक दुनिया में साम्राज्यवादी ताकतों को नष्ट नहीं किया जायेगा तबतक दुनिया में शांति नहीं हो सकती है आप लोगों ने पहले भी लोगों को जाती और धर्म के नाम पर बांटा अब मुझे चाइना समर्थक क्यों उद्घोषित कर रहे हो चाइना से लड़ना हो तो चाइना वाला सिस्टम अपनाओ जो अपना नहीं सकते हो। आप तो सामाज में घृणा ही फैला सकते हो ?
अगर आप मुझे माओवादी समझते हैं तो मैं जो काम कर रहा हूँ अगर वही माओवाद है तो मुझे गर्व होगा मेरा मानना है की भारत एक बहुजातीय, बहुधार्मीय, बहुभाषायी देश है हम उसके नागरिक हैं विभिन्नता में एकता बनाए रखना हमारा प्रयास है लेकिन हमारी विवधता में एकता बनाये रखने का अर्थ यह नहीं है की मिलावटखोरों जमाखोरों नकली दवा बनाने, भ्रष्टाचारियों व देश की एकता और अखंडता को नष्ट करने वाली शक्तियों की एकता का समूह भारत बने।
अंत में आपने किसी बाबा का प्रवचन सुनने को कहा है वह प्रवचन आप ही सुनिए क्योंकि आप लोगो का स्वभाव है मुंह में राम बगल में छूरी । जिस बाबा की आपने बात लिखी है वह भी घटिया आयुर्वेदिक दवाओं का व्यापारी है इसके अतिरिक्त कुछ नहीं है इसी ब्लॉग जगत में भड़ास पर उस तथा कथित बाबा जी के सम्बन्ध में काफी कुछ लिखा जा चूका है शेष अगली बार बुरा मत मानियेगा हम आपके ही भारत देश के निवासी है आप उसको अपना नहीं मानते हैं मैं उसे अपना मानता हूँ और उसको सजाने और आकर्षक बनाने के लिए कृत संकल्प हूँ । हम भारत नहीं बनाये रखना चाहते हैं कि जिसमें किसान आत्महत्या करें अधिकारी, राजनेता भ्रष्टाचारी हों।
सुनील दत्त जी ये आदमखोर टाईगर मरियल सा है और भूखा भी है 1925 में विजयदशमी के दिन राम लीला में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने अपने धनुष से रावण की नाभि का अमृत सूखा कर वध किया था उस रक्त से पैदा हुए रक्त बीजों से तथाकथित टाईगर्स पैदा हुए हैं जो नीति और अनीति न्याय और संप्रभुता का अर्थ ही नहीं समझ सकते कुछ रटी रटाई कुछ विशेष शब्दों का प्रयोग करके आप फौरी तौर पर उत्साहित जरूर हो सकते हैं लेकिन भारतीय जनमानस का हिस्सा नहीं हो सकते हैं चाहे रक्त बीजों से उत्पन्न शिव और राम की सेनायें वास्तव में रावणी सेना हैं सावन के अंधे को सब कुछ हरा-हरा ही दीखता है हम कभी भी किसी भी हत्या को जायज नहीं कहते हैं गोधरा में मरे 58 लोगों की हत्या हत्या है। उसको जाति और नस्ल के आधार पर बांटना उचित नहीं होता है। ' चाहे हिन्दू मरे या मुसलमान दोनों को एक सा कफ़न चाहिए यही सही है जब कोई मरता है तो उस पर आश्रित परिवार की तरफ नजर उठा कर देखिये रक्त बीजों से उत्पन्न ने गुजरात में जो नरसंहार किया है उसके पक्ष धर आप हैं मैं नहीं '।
आतंकवाद का मुख्य उद्गमस्थल अमेरिका का व्हाईट हाउस है जो पूरे एशिया में मोसाद के साथ मिलकर तबाही मचाये हुए है आप धर्मनिरपेक्षता में ही अटके हुए हैं असली है या नकली। आतंकवाद में आप कभी मुख्य बिंदु के ऊपर कभी चर्चा नहीं करोगे क्योंकि अमेरिकन साम्राज्यवाद आपका मुख्य प्रेरणा स्रोत्र है जब तक दुनिया में साम्राज्यवादी ताकतों को नष्ट नहीं किया जायेगा तबतक दुनिया में शांति नहीं हो सकती है आप लोगों ने पहले भी लोगों को जाती और धर्म के नाम पर बांटा अब मुझे चाइना समर्थक क्यों उद्घोषित कर रहे हो चाइना से लड़ना हो तो चाइना वाला सिस्टम अपनाओ जो अपना नहीं सकते हो। आप तो सामाज में घृणा ही फैला सकते हो ?
अगर आप मुझे माओवादी समझते हैं तो मैं जो काम कर रहा हूँ अगर वही माओवाद है तो मुझे गर्व होगा मेरा मानना है की भारत एक बहुजातीय, बहुधार्मीय, बहुभाषायी देश है हम उसके नागरिक हैं विभिन्नता में एकता बनाए रखना हमारा प्रयास है लेकिन हमारी विवधता में एकता बनाये रखने का अर्थ यह नहीं है की मिलावटखोरों जमाखोरों नकली दवा बनाने, भ्रष्टाचारियों व देश की एकता और अखंडता को नष्ट करने वाली शक्तियों की एकता का समूह भारत बने।
अंत में आपने किसी बाबा का प्रवचन सुनने को कहा है वह प्रवचन आप ही सुनिए क्योंकि आप लोगो का स्वभाव है मुंह में राम बगल में छूरी । जिस बाबा की आपने बात लिखी है वह भी घटिया आयुर्वेदिक दवाओं का व्यापारी है इसके अतिरिक्त कुछ नहीं है इसी ब्लॉग जगत में भड़ास पर उस तथा कथित बाबा जी के सम्बन्ध में काफी कुछ लिखा जा चूका है शेष अगली बार बुरा मत मानियेगा हम आपके ही भारत देश के निवासी है आप उसको अपना नहीं मानते हैं मैं उसे अपना मानता हूँ और उसको सजाने और आकर्षक बनाने के लिए कृत संकल्प हूँ । हम भारत नहीं बनाये रखना चाहते हैं कि जिसमें किसान आत्महत्या करें अधिकारी, राजनेता भ्रष्टाचारी हों।
आपका तथाकथित माओवादी
सुमन
लो क सं घ र्ष !
वाह लासुमन जी. कभी अफगानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान, सऊदी में भी जाकर झंडे गाड़ आइये. आपको वहां नोबेल तुरन्त मिल जायेगा.
भैया सुमन जी, कब तक अमेरिकी साम्राज्यवाद को गाली देकर 'मार्क्सवादी मिथ्याचार' को जिन्दा रख सकते हो? भैया वास्तविकता की ही जीत होगी; कितना ढिढोरा पीटा सोवियत संघ ने? क्या हुआ? रेत के महल की तरह ....
शंकर जी की आई याद,
बम भोले के गूँजे नाद,
बोलो हर-हर, बम-बम..!
बोलो हर-हर, बम-बम..!!
सुन्दर आलेख..
महा-शिवरात्रि की शुभकामनाएँ!
Aap ke vichar ache hai.