जी हाँ, अब आपको यह अपनी टिपण्णी के माध्यम से बताना है कि अरविन्द मिश्रा जी Lucknow Bloggers' Association लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन" से जुड़ जाएँ.
उसकी कई वजह हैं और उनमें से सबसे बड़ी वजह है कि वह भी उत्तर प्रदेश के निवासी हैं.... कम से कम मैं तो यही चाहता हूँ कि अरविंद मिश्र जी Lucknow Bloggers' Association लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन से ज़रूर जुड़ें. मुझे उम्मीद है कि वह हमारा निवेदन अस्वीकार हरगिज़ नहीं कर सकते....
उम्मीद पर दुनियां क़ायम है....हमें मिश्रा जी के जवाब का इंतज़ार रहेगा !!!
सलीम ख़ान
संयोजक
Lucknow Bloggers' Association लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन
विश्व का सबसे बड़ा सामुदायिक चिट्ठा; उत्तर प्रदेश के ब्लॉगर्स के लिए !
मिश्रा जी, हम आपके अनन्य फैन हैं!!! और आपसे शदीद मुतास्सिर भी !!! मैं और मेरे जैसे कई ब्लॉगर्स चाहते हैं कि आप LBA परिवार में ज़रूर आयें और हम आपकी सरपरस्ती भी चाहते हैं...
सलीम भाई 1. मिश्रा जी अभी पत्रिका पढ रहे है, उसके बाद बतलायेंगे :). 2. हम सभी ब्लॉगर्स असोसिएशन का स्वागत करते है और इसे घेट्टो कहने का विरोध करते है. 3. मिश्रा जी उत्तर प्रदेश के ही निवासी नहीं भारत के भी निवासी हैं. 4. आभासी दुनियां में मत जानने का यह तरीका सफल नहीं है, परिकल्पना ब्लाग में अभी अभी हमने देख लिया है. 5. मिश्रा जी का अभिमत ही सर्वोपरि है.
संजीव भाई मैं ज़्यादा टेक्नीकल न हो कर इमोशनल होकर यह पोस्ट लिखी है...
तब तो ठीक है, मेरा अभिमत मिश्रा जी को जुडना चाहिए.
मैं तो दिल से चाहता हूँ कि मिश्रा जी इस ब्लोग से जरुरु जुड़े , ताकी वह इसे और भी समृद्ध बना सके ।
सलीम भाई ,
मैं अपने प्रति आपके स्नेह की ऊष्मा अनुभव कर रहा हूँ -आपके कई पूर्व आमंत्रणों को मैंने इसलिए सायास अनदेखा किया कि मैं अन्यान्य गतिविधियों और व्यस्तताओं के चलते इस फोरम के साथ न्याय नहीं कर पाउँगा -मैं पहले से ही अंतर्जाल और बाहर भी सामाजिक संगठनों से जुडा हूँ -जब आपकी उम्र में था तो आप जैसी ही बहुत ऊर्जा थी और बहुत काम अंजाम देता रहता था -जाकिर भाई से बात हो तो वे बताएगें भी -वे मुझे विगत कम से कम १५ वर्षों से तो जानते ही हैं .अब स्थिति बदल गयी है -एक तो सरकारी चाकरी की विवशताएँ और दबाव और फिर पहले से ज्वाईन किये गए फोरम में भी यथोचित समय न दे पाने का ग्लानिबोध मुझे किसी नए वेंचर के लिए हठात रोकता है -श्रीश ने तो आक्रोश में मुझे एक दिन हडकाया भी -मैंने नावोत्पल पर कविता लिखी फिर से वहां नहीं पहुँच पाया -एक डॉ राम साहब है लिटररी अंगरेजी ब्लॉग है उनका - नाक में दम किये रहते हैं वहां भी एक लेख के बाद नहीं पहुँच पाया -तस्लीम पर पहेली नियमित रखने का दबाव रहता ही है -साईंस ब्लागर्स असोसिएसन का सुपर्विजन है ही -हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है की आप मुझे लखनऊ ब्लॉगर असोसिएशन (एल बी ऐ) की अलंकारिक सदस्यता दे दें किन्तु यह इसलिए उचित नहीं लगता की मेरे योगदान के अभाव में यह मुझमें ही ग्लानि बोध बढाता रहेगा ! जो एक शुभचिंतक होने के नाते आप नहीं चाहेगें .
दूसरे मैं अपने ब्लागों के अलावा दूसरे ब्लागों पर पहुँचता रह्ता हूँ और पारस्परिक विचार विनिमय के लिए टिप्पणियाँ भी करता हूँ -यह ब्लॉग्गिंग में बहुत आवश्यक है -यह बंद या एक तरफ़ा माध्यम नहीं है -कई लोगों को मैंने देखा है की वे इतने खुदगर्ज हैं की अपने ब्लोगों पर तो भीड़ चाहते हैं दूसरों पर भूल कर नहीं जाते -कई ब्लॉगर ऐसे हैं जो केवल अपने में ही एक दूसरे के ब्लोगों पर जाकर अपनी अपनी पगडंडियाँ बनाए हुए हैं -भूल कर भी यह नहीं देखते की दूसरे क्या लिख पढ़ रहे हैं -इसमें एक गुजरे ज़माने के मठाधीश (हा हा गुजरे जमाने .....) और उनके द्वरा ही प्रमोट की गयीं कई चहेतियां भी हैं -अब ब्लॉगजगत में इन प्रवृत्तियों पर भी नजर तो रखनी होगी और खुद अपने ब्लॉग पर प्रविष्टियाँ तथा आप सब के ब्लागों पर टिप्पणियाँ -काफी काम है न !
आप फिर भी चाहते हैं की मैं एल बी ऐ की सदस्यता ले लूं तो फिर तो मेरे सामने और कोई बहाना नहीं है .....
मिश्रा जी, अब मान भी जाइये।
कोई हमें तो बुलाये हम तो दौड़े हुए चले आयेंगे।
कमाल है! ब्लोगिंग में भी लाबिंग, क्या नई पार्टी बनाने का विचार है क्या? यहाँ विचारों की बंधनात्मक प्रक्रिया को सलाम! लेकिन यह कितना उचित है !
रत्नेश
nice
हा हा हा
सुमन जी यहाँ भी नाईस ???
बधाई हो भाइयों ! अब मिश्रा जी भी हम से जुड़ रहे हैं....
अरविन्द मिश्रा जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया !!! मैं शीघ्र ही आपको एक आमन्त्रण मेल भेज रहा हूँ !!!
सधन्यवाद आपका अनुज
सलीम ख़ान