मैं एक साइबर कैफे में बैठा था मेरे साथ ज़ाकिर अली 'रजनीश' भी बैठे थे, मैंने कहा "आपको मेरे ब्लॉग का नाम पता है?"
उन्होंने छूटते ही जवाब दिया..." हाँ, स्वच्छ सन्देश"
मैंने कहा ठीक है मैं एक ब्लॉग खोलता हूँ आपको उसका नाम पढ़ कर सुनाना है! मैं इशारे के लिए बता दूं कि वह ब्लॉग आपके और मेरे एक अभिन्न ब्लॉगर गुरु का ब्लॉग है, और जो आपके ब्लॉग "साइन्स ब्लॉगर्स एसोशिएशन" के अध्यक्ष महोदय भी हैं.
ओहो ! तो तुम श्री अरविन्द मिश्र जी के ब्लॉग को कह रहे हो... वो एक संस्कृत शब्द है बहुत कठिन है!
चलिए आपकी सहायता करे देते हैं और मैं मिश्रा जी की प्रोफाइल में जाकर उनका ब्लॉग खोला और कहा अब पढ़िए....
क्वचिदन्यतोअपि..........!
और अगर याद हो जाए तो मुझे फ़ोन पर सुना दीजिएगा...
वैसे मैं ज़ाकिर भाई के फ़ोन का इन्तिज़ार मैं आजतक कर रहा हूँ !
और हाँ, आपको भी याद हो जाए तो फ़ोन करिएगा !!!
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