कवि एसी तान सुनाओ
जन जन हरषे, तन मन सरसे,
नेह जलधि लहराओ,
मन एसे गीत सजाओ ॥
जाग उठे हर अन्चल अन्चल
ऐसा प्रेम - पियाला |
राष्ट्र गीत गायें हिल मिल कर ,
छलके प्रीति की हाला |
हर जन गण मन बने देश की
भक्ति-प्रीति मतवाला|
दहक उठे हर अंग अंग में,
राष्ट्र-प्रेम की ज्वाला|
जग काँपे भूधर हिल जाए,
राग धमाल मचाओ ||..................कवि एसे...
नेह जलधि लहराए मन में,
मन दर्पण होजाए |
निर्मल तन निर्मल मन हो, सब-
प्रभु अर्पण होजाए |
मैं और तू का भेद रहे न ,
तदाकार तदमय हो जीवन |
अहं ब्रह्म , सोsहं, तत्वमसि ,
भेदाभेद परे हो यह मन |
प्रेम सुमन बिखरें हर पथ पर,
ताल से ताल मिलाओ ||...........कवि ऐसी तान.......
राष्ट्र प्रेम का मर्म जगे मन
विश्व प्रीति ध्वज फहरे |
प्रीति तिरंगा नीलगगन सज ,
जन गण मन में लहरे |
जन मन होगा शुद्ध सरल शुचि,
जीवन ऋजु-पथ जाए |
सत्यनीति पथ,धर्मं-भक्ति मय,
कर्म ज्ञान मन भाये |
कर्म के बाती ,ज्ञान का घृत हो,
प्रीति के दीप जलाओ |
सुर लय तान मिलाओ ,
नेह जलधि लहराओ |
कवि ऐसी तान सुनाओ
मन एसे गीत सजाओ ||
जन जन हरषे, तन मन सरसे,
नेह जलधि लहराओ,
मन एसे गीत सजाओ ॥
जाग उठे हर अन्चल अन्चल
ऐसा प्रेम - पियाला |
राष्ट्र गीत गायें हिल मिल कर ,
छलके प्रीति की हाला |
हर जन गण मन बने देश की
भक्ति-प्रीति मतवाला|
दहक उठे हर अंग अंग में,
राष्ट्र-प्रेम की ज्वाला|
जग काँपे भूधर हिल जाए,
राग धमाल मचाओ ||..................कवि एसे...
नेह जलधि लहराए मन में,
मन दर्पण होजाए |
निर्मल तन निर्मल मन हो, सब-
प्रभु अर्पण होजाए |
मैं और तू का भेद रहे न ,
तदाकार तदमय हो जीवन |
अहं ब्रह्म , सोsहं, तत्वमसि ,
भेदाभेद परे हो यह मन |
प्रेम सुमन बिखरें हर पथ पर,
ताल से ताल मिलाओ ||...........कवि ऐसी तान.......
राष्ट्र प्रेम का मर्म जगे मन
विश्व प्रीति ध्वज फहरे |
प्रीति तिरंगा नीलगगन सज ,
जन गण मन में लहरे |
जन मन होगा शुद्ध सरल शुचि,
जीवन ऋजु-पथ जाए |
सत्यनीति पथ,धर्मं-भक्ति मय,
कर्म ज्ञान मन भाये |
कर्म के बाती ,ज्ञान का घृत हो,
प्रीति के दीप जलाओ |
सुर लय तान मिलाओ ,
नेह जलधि लहराओ |
कवि ऐसी तान सुनाओ
मन एसे गीत सजाओ ||
सर जी, लाजवाब पोस्ट।
आपने एक बेहतरीन कविता से हमें रुबरु कराया ।
धन्यवाद ।
वाह एक बेहद उम्दा लयबद्ध गीत मन को लुभा गया ।
bahut badhiya, aabhar
behatarin post........lajwab
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार 29.01.2011 को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
आपका नया चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
उत्तम!!
नवाबों के शहर से निकली एक नजाकत और भाव भरी रचना। बधाई हो महोदय।
मैं और तू का भेद रहे न ,
तदाकार तदमय हो जीवन |
अहं ब्रह्म , सोsहं, तत्वमसि ,
भेदाभेद परे हो यह मन ...
Very inspiring lines !
.
देश प्रेम उद्दीपक रसमय प्रवाहमयी अद्वीतीय गीत...वाह...वाह...वाह...
आनंद आ गया ,मन आह्लादित हो गया पढ़कर...
बहुत बहुत आभार आपका पढवाने के लिए...
शिव्शन्कर जी, वन्दनाजी, हरीश जी....धन्यवाद
धन्यवाद अनाजी,
--धन्यवाद सत्यम जी--चर्चा में लाने के लिये....
बहुत बहुत आभार, उडन तश्तरी जी जो आप हमारे दर पै उतरे....आप आये बहार आई....
आभार, अतुल जी जो आपको नज़ाकत व भाव पसन्द आये....
--रन्जना जी--अपकी वाह..वाह से दिल बाग..बाग होगया...आभार...
---धन्यवाद दिव्या जी---अखिलोSब्रह्म...