पर भारत की बात निराली --
सारा जग सुन्दर अति सुन्दर ,
पर भारत की बात निराली ।
गूंजे प्रेम-प्रीति की भाषा,
वन उपवन तरु डाली डाली |
मेरे देश की बात निराली ,
भारत की हर बात निराली ||
गली गली है गीत यहाँ की
गाँव शहर संगीत की थिरकन |
पगडंडी सी नीति कथाएं ,
हाट डगर मग प्रीति की धड़कन |
नदी नहर जल मधु की प्याली,
पग पग सत की कथा निराली |
प्रेम की भाषा डाली डाली,
इस भारत की छटा निराली ||
अपने अपने नियम धर्म सब,
अपने अपने ईश-ब्रह्म सब|
अपनी अपनी कला कथाएं,
अपनी अपनी रीति व्यथाएं |
अलग अलग रंग प्रीति निराली,
भिन्न भिन्न हर डाली डाली |
एक तना जड़ एक निराली,
मेरे देश की बात निराली ||
कर्म के साथ धर्म की भाषा |
अर्थ औ काम मोक्ष अभिलाषा |
जीवन की गतिमय परिभाषा |
विविधि धर्म मत जाति के बासी |
बहु विचार , बहु शास्त्र कथा सी |
भोर में प्रिय ऊषा की लाली |
बहुरंगी संस्कृति की थाली ,
मेरे देश की बात निराली ||
गीता स्मृति वेद उपनिषद्,
नीति कथाएं ये पुराण सब |
विविध शास्त्र इतिहास सुहाना ,
कालिदास प्रभृत्ति विद्वाना |
सुर भूसुर भूदेव महीसुर,
नर नारायण संत कवीश्वर |
प्रथम भोर ऊषा की लाली,
भारत की हर बात निराली ||
मेरा भारत इसीलिए महान है की वह विभिन्न परम्पराओ, मान्यताओ व विविधताओ को अपने आप में समेटे हुए है, सभी धर्र्मो व रीतिरिवाजो को मिलकर ही एक सुन्दर भारत की कल्पना की जा सकती है. सुन्दर कविता. गणतंत्र दिवा पर हार्दिक शुभकामनाये.
धन्यवाद हरीश जी...
सर जी,
लाजवाब प्रस्तुति।
सुन्दर कविता. गणतंत्र दिवा पर हार्दिक शुभकामनाये.