हरीश भाई, आपकी पिछली पोस्ट पढ़ी, जिसमे आपने कहा था कि कोई मुझे बहका रहा है कि LBA से आपको निकाला दूं.
सबसे पहले मैं आपको यह बता दूं कि आज तक मैंने किसी को भी कहीं से निकाला नहीं है हाँ ये ज़रूर हुआ है कि लोग हमसे दूर हो गए वो भी बिना कुछ सोचे बूझे ! अगर आप LBA का इतिहास उठा कर देखेंगे तो पाएंगे कि लोग किस तरह बिना किसी वजह से मुझसे दूर हो गए. वैसे मुझे उनकी बात समझ आ रही है कि शायेद वो मुझसे चाटुकारिता चाह रहे थे, उन लोगों को मेरी मोहब्बत रास नहीं आ रही थी. उनको एक ऐसा सलीम चाहिए था जो अपनी शख्सियत खो कर पूरी तरह से उनके इशारों पर चले ! LBA के निर्माण के वक़्त ही से रावणों की चाल चल रही थी, मगर ईश्वर की असीम कृपा से उनका सभी मंसूबा ध्वस्त हो गया.
एक उसूल की बात मैं आप तक पहुंचना चाहता हूँ :::
मोहब्बत करने वाले को खुला छोड़ दो, अगर वह वापस आ गया तो समझो वह तुमसे सच्ची मोहब्बत करता है और जितने वक़्त वह तुमसे दूर था तुमसे सच्ची मोहब्बत करता रहा. अगर वह वापस नहीं आया तो समझो जितने वक़्त वह साथ था झूठ-मूठ था !
लक्ष्मण समान मिथिलेश, जिस पर मैं आँख बन्द कर भरोसा करता हूँ ने आपके साथ मिल कर UBA बनाया तो मेरे ह्रदय ने उसका स्वागत किया. और आज मैं एक ऐलान और कर दूं कि हरीश जी, आप LBA के हनुमान हैं. LBA और वक़्त का यह तक़ाज़ा है कि आप और मिथिलेश ठीक उसी तरह से मेरा साथ दें और दुश्मनों के मुहं पर तमाचा मारें जो हम सबमें फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं, जिस तरह से राम की सहायता हनुमान और लक्ष्मण ने की थी.
आप LBA के प्रचारक हैं और रहेंगे ! साथ ही साथ आपके अखबार न्यू क्रांतिदूत टाइम्स के लिए ढेरों शुभकामनाएं !!!
आपका
सलीम ख़ान
संयोजक व संस्थापक
LBA
उत्तर प्रदेश का सबसे पहला सामुदायिक ब्लॉग
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जनाब सलीम ख़ान साहब ! आपकी यह बात हमें भी सही लग रही है कि वे मात्र सम्मान पाकर ही खुश और संतुष्ट नहीं थे बल्कि वे चाहते थे कि सलीम उनके सामने दंडवत भी करे और जब सलीम ख़ान ने ऐसा न किया तो इमोशनल ब्लैकमेलिंग पर उतर आए कि उनकी मिन्नतें की जाएंगी और अपनी ऐंठ मरोड़ में वे ख़ुद दूर होते गए । फूट डालने के प्रयास मात्र अपनी खीज मिटाने के लिए किए जा रहे हैं । अफ़वाहों का मक़सद भी यही है ।
धन्यवाद भाई, मैं समझता हू की मान सम्मान मांगने से नहीं मिलता. मेरा मतलब है की यह कोई वस्तु नहीं जो मांगने पर मिल जाय. हमारे अन्दर यह भावना होनी चाहिए की हम दूसरों का सम्मान करें. जब हम सम्मान करेंगे तो निश्चित रूप से लोग हमें सम्मान देंगे. हम किसी को गाली दे और अपेक्षा करे की सामने वाला व्यक्ति. मेरा सम्मान करे तो यह कहा संभव. है. जो लोग यह सोचते थे की सलीम उनके सामने घुटने टेक दे उन्हें यह सोचना चाहिए था की आखिर सलीम क्यों झुके. उन्होंने अपनी विद्वता का ऐसा कौन सा उदहारण पेश कर दिया, कौन सी क़ाबलियत दिखाई जिसके सामने सलीम नतमस्तक हो. अहंकार, घमंड के सामने सलीम तो क्या कोई भी नहीं झुकेगा. सबसे बड़ा काबिल तो इस जगत का पालनहार खुदा है, भगवान है, उसे छोड़कर किसी आम इन्सान के सामने क्यों झुके.
सलीम भाई, आप मेरे प्रति यह भाव रखते है, इस बारे में विचार व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है. हम लोग साथ है और हमेशा साथ रहेंगे.
waah padh kar achha lga thanx!