१-
चाहत है एश्वर्य की, तो इन छः को त्याग,
निद्रा, तंद्रा, क्रोध, भय, आलस रूपी राग |
आलस रूपी राग, कार्य में देरी करना ,
सबको दीजै त्याग,लोक हित रत यदि रहना |
इन दोषों को त्याग,श्याम' श्रुति सम्मत मत है,
ऋद्धि-सिद्धि, श्री की जीवन में जो चाहत है ||
२-
चलें नीति व्यवहार पर, छह का करें न त्याग,
सत्य, दान, कर्मण्यता, धैर्य-भाव, अनुराग |
धैर्य-भाव, अनुराग , गुणों में दोष खोजना,
क्षमाभाव अति सुखद फलित हों सभी योजना,
ये छह गुण हों साथ , श्याम' नित फूलें -फलें ,
चाहें जो सुख-शान्ति, नीति-व्यवहार पर चलें ||
दोनों सुन्दर!!!