सारा देश आज ६५ वां स्वंत्रता दिवस मनाने जा रहा रहा है । अपने प्रधान मंत्री लाल किले पर झंडा फहराएगें । शहीदों की कुर्बानी और अपनी उपलब्धियों का बखान करेंगे ।
यह स्वतंत्रता दिवस कुछ सवाल लाया सरकार के लिये भी और आम लोगों के लिये भी ।
लोकपाल बिल पर अन्ना की सिविल सोसायटी और सरकार आमने सामने है ।
१६ अगस्त से अन्ना अनशन करने जा रहे हैं । अनशन की जगह व अवधि को लेकर , सरकार की नीयत को लेकर, अन्ना के पी० एम० को लिखे पत्र को लेकर तथा १४ अगस्त को सरकार व कांग्रेस पार्टी द्वारा अन्ना व उनकी टीम के विरुद्ध आरोप लगा कर और अन्ना द्वारा उनका खंडन करने व पलट वार करने तथा अनशन पर अडिग रहने को लेकर लोगों के मन में कई आशंकायें व प्रश्न उठ रहे हैं -
क्या अन्ना अनशन कर पायेंगें ?
क्या सरकार रामदेव के सत्याग्रह की तरह इस आन्दोलन का भी दमन कर देगी ?
सरकार व अन्ना के वाक़-युद्ध का हमारी अंतर्राष्ट्रीय छवि पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
अब यह आन्दोलन क्या लोकपाल बिल तक ही सीमित रहेगा अथवा व्यवस्था परिवर्तन की शुरुआत बनेगा ?
जनता की कितनी वास्तविक भागीदारी इस आन्दोलन में होगी ?
हमारी निर्वाचित सरकार इस अनशन से इतना विचलित क्यों है ?
क्या नैतिकता व शालीनता का एक दूसरे को उपदेश देते देते हम खुद अशालीन नहीं हो गये हैं ?
क्या भ्रष्टाचार के विरुद्ध यह जन आन्दोलन हमारे राष्ट्रीय चरित्र को भी सुधारने में सफल होगा ?
उम्मीद करने चाहिए की यह घटनाक्रम देश की राजनीतिक संस्कृति को एक सकारात्मक दिशा दे सके ,मात्र एक ऐतिहासिक घटना बन कर न रह जाये । ...स्वागतम स्वाधीनता दिवस ।
Posted by Dr.Aditya Kumar at 12:04 PM
क्या प्रधान मंत्री जी निहत्थे लोगो पर हुए लाठी चार्ज पर देश से माफ़ी मागेंगे ..???
या पश्चिम की मंदी को रोयेगे ? या सरकार की उपलब्धि बतायेगे ??