संजीव
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दीपिका टेरती है
तम हरता दीपक,
पग रमा फेरती है।
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धन निर्धन को देना,
धन तेरस आई,
हँस दुआ मिले, लेना।
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इस रूप चतुर्दशी पर
मन भी स्वच्छ करो,
उत्तम है अवसर।
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पग रमा फेरती है।
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धन निर्धन को देना,
धन तेरस आई,
हँस दुआ मिले, लेना।
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इस रूप चतुर्दशी पर
मन भी स्वच्छ करो,
उत्तम है अवसर।
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यारो! दीवाली है
गले मिलो हँसकर,
लछमी घरवाली है।
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कर अन्नकूट पूजा,
भूखे को रोटी,
दे पुण्य नहीं दूजा।
गले मिलो हँसकर,
लछमी घरवाली है।
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कर अन्नकूट पूजा,
भूखे को रोटी,
दे पुण्य नहीं दूजा।
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गौ पालन मत भूलो
गोवर्धन पूजा
कर विहँस गगन छू लो।
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अरि रहें न भाई के
बहिना मना रही
देहरी हर्षाई है।
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१०-११-२०२०
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