बार बार सर्दी होना और नाक की सर्जरी: #क्या #है #सच?? एवं सबसे ज़्यादा विश्वसनीय कारगर उपचार
आपने इर्द गिर्द ऐसे बहुत से लोग देखे होंगे जिन्हें आये दिन सर्दी, होती रहती है। इनकी संख्या कम नहीं बल्कि 100 में से 20 के लगभग लोगों को है...कम या ज़्यादा।
दिखने में मामूली यह बीमारी व्यक्ति के जीवन, पढाई,काम, आपसी रिश्तों, उर्ज़ा और इमेज पर काफ़ी बुरा प्रभाव डालती है।
सर्दी को गंभीर बीमारी नहीं माना जाता ऐसे में इन लोगों के बार बार बीमार होने को उनका आलस्य, लापरवाही, काम न करने का बहाना , कमज़ोर होना, नाज़ुक होना,
वगैरह समाज में समझ लिया जाता है।
ज़हाँ अन्य बीमारियों में देखभाल, सहानुभूति, मिलती है ये लोग इस तरह के वाक्य का सामना सुन सुन कर आहत होते रहते हैं।
1. बड़े नाज़ुक हो यार
2. कहीं बहाना तो नहीं बनाते काम न करने का
3.वो तो जब तक बीमार ही पड़ी रहती है
4.भाई तुम इतना बीमार क्यों होते हो( जैसे उसे उसे मज़ा आ रहा हो बीमार होने में
5. अबे सर्दी ही तो है तू तो ऐसा कर रहा जैसे कैंसर हो गया हो
6. च्यवनप्राश , खा कर देखो, ये दवा लो, वो दवा लो, ये नुस्खे, वो नुस्खे, ये पद्धति वो पद्धति।
7.तुम्हारी दिन चर्या सही नहीं है। साफ़ ,सफ़ाई का ध्यान रखते हो या नहीं?
#लक्षण:
नाक ब्लॉक रहना , बहुत छींके आना, शुरुआती लक्षण होते हैं। लेकिन नाक ब्लॉक होने और नाक के इर्द गिर्द एवं माथे पर मौज़ूद sinuses ( छोटे ,छोटे हड्डियों के बने खाली बॉक्स से होते हैं जिनमें हवा होती है,एवं इनके छिद्र नाक में खुलते हैं) के छिद्र म्यूकस एवं इंफ्लामशन से अवरुद्ध हो कर साइनोसाइटिस हो सकती है।
आँखों के नीचे गड्ढे या उभार भी बन जाते हैं। जिन्हें लोग कमज़ोरी से बना मानते हैं।
साइनोसाइटिस की वज़ह से व्यक्ति में थकावट, सर दर्द, चिड़चिड़ापन, अवसाद, बार बार बुखार हो जाना , लंबे समय चलने वाली खांसी एवं गले एवं कान के इन्फेक्शन हो सकते हैं। मुँह से सांस लेने पर गले के इन्फेक्शन , नींद न आना ,मुँह से दुर्गन्ध जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
अवसाद, चिड़चिड़ापन और हेल्पलेसनेस की मानसिकता व्यक्ति के निजी रिश्तों पर बेहद बुरा प्रभाव डाल सकती है और तब व्यक्ति को स्वयं एवं उसके अपनों को नहीं पता होता कि इत्ती सी सर्दी की वज़ह से यह सब हो रहा है।
Diagnoses / निदान :
विभिन्न चिकित्सकीय सलाह में कोई कहता है इम्युनिटी कम है।
तो कोई स्पेशलिस्ट कह देता है , नाक का सेप्टम टेढ़ा है या नाक की हड्डी बढ़ी है , ऑपेरशन करना पड़ेगा।
यह लेख तभी लिखने का विचार आया जब एलर्जी से पीड़ित एक बच्चे की माँ ने बताया कि परसों वो अपनी नाक का ऑपरेशन करवाने जा रही है। क्योंकि बच्चे के साथ साथ उसे भी बार बार सर्दी होती है।
दरअसल बार बार सर्दी होने वाले मरीजों में से 90 प्रतिशत को नाक की बीच वाली हड्डी के टेढ़े पन से नहीं
बल्कि नाक की एलर्जी से बार सर्दी होती है।
नाक की क्रोनिक (लंबे समय वाली) एलर्जी की वज़ह से बार बार नाक की म्यूकोसा (झिल्ली) में सूजन से अंदरूनी साँस का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।
इसे मेडिकल भाषा में allergic rhinitis कहते हैं। इसके कुछ प्रकार भी होते हैं जो यहाँ नहीं समझा रहा अभी।
Complication: एलर्जिक रायनाइटिस का सही उपचार न लेने पर कुछ वर्षों में साइनोसाइटिस होने एवं अस्थमा हो जाने की सम्भावना बढ़ जाती है।
#उपचार :
उपचार के पहले बता दूं कि नाक की सर्जरी करवाना है या नहीं???
नाक की सर्जरी का परामर्श आपने बहुतों के लिए सुना होगा। कुछ ने ऑपरेशन करवा लिया फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ।
ऑपरेशन की यह सलाह कई मामलों में पुरानी मान्यताओं के आधार पर होती है और काफ़ी ज़ल्दी दे दी जाती है। ऑपरेशन की ज़रूरत बेहद कम मरीजों को ही होगी। और जिनका ऑपरेशन होगा उन्हें भी नाक की एलर्जी का मेडिकल उपचार तो लंबे समय लेना ही होगा।
अतः बिना सही मेडिकल उपचार का इस्तेमाल किये सीधे सर्जरी की सलाह को मैं ग़लत कहूँगा। सर्ज़री की सलाह ज़रूरी हो सकती है किन्तु सही मेडिकल उपचार के कारगर न होने पर ही ,बशर्ते कि सर्ज़री के कारण मौज़ूद हों।
तो उत्तर यह है कि सर्वप्रथम तो नाक की एलर्जी का उपचार करवाना है। सर्जरी बेहद रेयर केस में काम आएगी। जब septam बहुत ही टेढ़ा हो, गंभीर साइनोसाइटिस हो, पोलिप बन गए हों।
मेडिकल उपचार में आजकल बेहद तरक्की हुई है और यह आसानी से कण्ट्रोल की जा सकने वाली बीमारी बन गयी है। लेकिन इलाज लंबे समय तक या जीवन भर भी चलता रह सकता है।
इलाज बेहद सस्ता एवं सुरक्षित होता है। तकरीबन साइड इफ़ेक्ट रहित।
A. Allergy testing:
यह एक महत्वपूर्ण कदम है जानने का कि आखिर किन चीज़ों से एलर्जी होती है।
जिससे उस चीज़ को अवॉयड किया जा सके या मरीजों में एलर्जी का परमानेंट उपचार इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल किया जा सके।
एलर्जी टेस्ट 2 तरह के होते हैं। एक रक्त से लिया जाता है। दूसरा प्रकार त्वचा पर दर्द रहित प्रिक करके किया जाता है।
नाक की एलर्जी के लिए त्वचा वाला टेस्ट ही बेहतर है। इसका रिजल्ट तुरंत मिलता है। रक्त जांच की तुलना में सस्ता होता है। लेकिन इसकी उपलब्धता कम होती है।
इसकी कीमत 3000 से 8000 रूपये के बीच अलग अलग शहरों में होती है। हर शहर के एलर्जी वाले तत्व भी अलग होते हैं।
मैंने जबलपुर में तकरीबन 500 एलर्जी टेस्ट किये और उनका डेटा विश्लेषण किया।
पाया कि यहाँ घर की धूल में मौज़ूद डस्ट माइट ( बारीक जीवाणु) नाक की एलर्जी एवं अस्थमा का सबसे बड़ा कारण हैं। ये डस्ट mite पंखे ,कूलर Ac की हवा से उड़ कर नाक में जाते हैं।
एलर्जी टेस्ट के बाद निम्न उपचार की योजना मरीज़ के लिए बनाई जा सकती है। हालाँकि एलर्जी टेस्ट के बिना भी कारगर उपचार किया जा सकता है। लेकिन टेस्ट करवाने से बेहतर निर्णय लिया जा सकता है।
1. लाइफस्टाइल में बदलाव, और एलर्जी के तत्वों से बचाव के उपाय
2. नाक के स्प्रे।
ध्यान रखें कि नाक का स्प्रे दवा डालने का एक तरीका मात्र है ,जबकि नाक के स्प्रे बहुत प्रकार जी दवाओं के आते हैं।
अतः नाक के स्प्रे का मतलब यह नहीं कि कोई भी स्प्रे।
एलर्जिक रायनाइटिस में लोग xylometazoline,Oxymetazoline जैसी दवाओं के स्प्रे का इस्तेमाल कर नाक की म्यूकोसा को बहुत क्षतिग्रस्त कर लेते हैं।
सबसे कारगर और बेहद सुरक्षित उपाय नाक के स्टेरोड स्प्रे हैं। लेकिन इन्हें डालने का सही तरीका होता है। साथ ही ये भी अलग अलग दवाओं और प्रकार के आते हैं।
ये स्प्रे महीनों से वर्षों तक उपयोग में भी सुरक्षित होते हैं
और सही मायनों में इन मरीजों के जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकने वाले होते हैं।
सर्जरी की आवश्यकता कुछ केसेस में हो भी तो नहीं रह जाती।
लेकिन सही स्प्रे की जानकारी , डोज़, देने का तरीका,कितने समय देना है यह सब मरीज़ को देना ज़रूरी है। और यह जानकारी एलर्जी की फील्ड में काम करने वाले चिकित्सकों को सबसे अच्छी होती है।
अच्छे ENT specialist को भी होती है। बशर्ते वो व्यर्थ ऑपरेशन की सलाह न दें।
3. दवाएं: बेहद कारगर एवं सुरक्षित दवाएं आ गयी हैं। लेकिन लंबे समय लेना ज़रूरी है।
4. इम्यूनोथेरेपी: यह एलर्जी के परमानेंट इलाज का एक तरीका है। लेकिन यह महंगा एवं लंबे समय तक चलता है एवं कुछ ही मरीजों में कारगर है इसलिए इस पर विस्तार से नहीं लिख रहा।
5. खान पान में परहेज:
मैं कहूँगा ज़रा भी नहीं। इसका कोई महत्त्व नहीं। एलर्जी टेस्टिंग में विभिन्न खाने की चीज़ों का भी टेस्ट किया जाता है यदि कोई पदार्थ वाकई टेस्ट में पॉजिटिव आ जाता है तो आप अवॉयड करें अन्यथा नहीं।
नींबू जैसे साइट्रस फ़ल एलर्जी वाले मरीजों के लिए अच्छे हैं। विटामिन C की वज़ह से लेकिन लोग उल्टा इन्हें बंद करवा देते हैं।
6. Breathing Excercise करना चाहिए। अनुलोम विलोम।
लेकिन नाक की एलर्जी एवं अस्थमा के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यायाम तैराकी है । क्योंकि पानी के रसिस्टेंस के ख़िलाफ़
आपको सांस छोड़नी होती है।
7. मुँह में कपड़ा बाँध कर या मास्क लगा के घूमना व्यर्थ की कवायद् हैं। गर्म भाप सिर्फ राहत देती है कुछ देर। ज़्यादा महत्त्व नहीं।
8. विटामिन डी की कमी भी एलर्जी का एक कारण है। इसलिए विटामिन डी अलग से लें क्योंकि भारतीय खाने में यह बहुत कम होता है। धूप से यह नहीं के बराबर मिलता है आधुनिक जीवन में।
9. उपरोक्त उपचार के साथ आयुर्वेद में इंटरेस्टेड लोग Dr
Sumit Shrivastava
से जुड़ें। नवजात शिशु को जन्म से छः माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ का दूध मिलना भविष्य में होने वाली एलर्जी का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
एक बात और एलर्जी के लिए की जाने वाली एक महंगी रक्त जांच TOTAL IgE level एक व्यर्थ की जांच है। इसी तरह से इओसिनोफ़िल काउंट का भी कोई फायदा नहीं। क्योंकि ये दोनों रिपोर्ट्स ग़लत हो कर mislead करती हैं।
झाड़ियों एवं घास के पराग कण बेहद छोटे होते हैं( 5 micron से छोटे) और नाक की एलर्जी का दूसरा प्रमुख कारण हैं डस्ट माइट के बाद।
गुलाब जैसे फूलों के पराग कण 10 माइक्रोन से बड़े होते हैं इसलिए एलर्जी नहीं करवाते।
इसलिए लाल गुलाब देना हो किसी को तो दे डालिये भले वो एलर्जिक हो।
आपका
डॉ अव्यक्त
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