*
मनोरमा दोहा कली, खिले बिखेरे गंध
रस लय भावों से करे, शब्द शब्द अनुबंध
मनोरमा दोहा कली, खिले बिखेरे गंध
रस लय भावों से करे, शब्द शब्द अनुबंध
*
दोहा सलिला निर्मला, बुझा रही जग-प्यास
युग का सच कहता सदा, होता नहीं उदास
*
दोहा दोहा नर्मदा, दे आत्मिकी आनंद
पढ़ सुन गुन रच सुमिर, बिसराते मतिमंद
*
देव-कांत दोहा अमर, नर-किन्नर का मीत
असुर न दोहा रच-कहें, सुकवि रचें कर प्रीत
*
दोहा दीप्त दिनेश है, दोहा है तमचूर
कथ्य भाव लय बिंब रस, दोहा में भरपूर
*
0 पाठकों ने अपनी राय दी है, कृपया आप भी दें!