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अभिनन्दन
डॉ. रविशंकर शर्मा, कुलपति मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर
सेवानिवृत्ति पर
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नदी सनातन नर्मदा, सकल जगत विख्यात
जबलपुर नगरी अमित, सिद्धि भूमि प्रख्यात
विद्यालय मॉडल यहाँ, गुरुकुल भाँति पवित्र
ऋषियों सम गुरुजन सतत, शोभित ज्यों मुनि चित्र
लज्जा शंकर झा सदृश , गुरुवर श्रेष्ठ सुजान
शिवप्रसाद जी निगम सम, अन्य नहीं गुणवान
कानाडे जी समर्पित, शिक्षक लेखक आप्त
रहे गोंटिया जी कुशल, चिंतक कीर्ति सुव्याप्त
रविशंकर बालक हुआ, शिक्षा हेतु प्रविष्ट
गुरु-हाथों ने निखारा, रूप किशोर सुशिष्ट
रट्टू तोता बन नहीं, समझ विषय गह सार
सीख ह्रदय में बसाई, रवि को मिला दुलार
क्षेत्र चिकित्सा का चुना, ह्रदय रोग हो दूर
कैसे चिंता मन बसी, खोज करी भरपूर
एन एस सी बी मेडिकल, कॉलेज में पा काम
विषय चिकित्सा पढ़ाकर, पाई कीर्ति सुनाम
कलर डॉप्लर का किया, सर्व प्रथम उपयोग
एंजियोग्राफी दक्षता, से कुछ कम हो रोग
एंजियोप्लास्टी सीखकर, अपनाई तकनीक
मंत्रोच्चारण का असर, परख गढ़ी नव लीक
ओंs कार उच्चार से, हृद गति हो सामान्य
गायत्री जप शांति दे, पीर हरें आराध्य
सूर्य ग्रहण सँग मनुज तन, कैसे करे निभाव?
शंख नाद ध्वनि-तरंगों, का क्या पड़े प्रभाव?
कूल्हे - गर्दन संग क्या, ह्रदय रोग संबंध?
नवाचार कर शोध से, दी नव रीति प्रबंध
स्टेथो स्कोप नव खोजा, कर नव क्रांति
'ह्रदय मित्र' पत्रिका रही, मिटा निरंतर भ्रांति
'एक्वायर्ड ट्विंस' नाम से, उपन्यास लिख एक
रविशंकर ने दिखाया, कौशल बुद्धि विवेक
'ह्रदय चिकित्सा रीतियाँ', मौलिक ग्रंथ विशेष
लिखा आंग्ल में मिली है, तुमको कीर्ति अशेष
हिंदी में अनुवाद से, भाषा हो संपन्न
पढ़ें चिकित्सा शास्त्र हम, हिंदी में आसन्न
'रविशंकर' ने तलाशी, नयी राह रख चाह
रोग मिटे; रोगी हँसे, दुनिया करती वाह
मॉडेलियन मिल कर रहे, स्वागत आओ मीत
भुज भेंटो मिल गढ़ सकें, हम सब अभिनव रीत
'रविशंकर' ने तलाशे, नए-नए आयाम
हमें गर्व तुम पर बहुत, काम किया निष्काम
कुलपति पद शोभित हुआ, तुमको पाकर मित्र !
प्रमुदित यूनिवर्सिटी है, प्रसरित दस दिश इत्र
हाथ मिलाकर हाथ से, रखें कदम हम साथ
श्रेष्ठ बनायें शहर को, रहें उठाकर माथ
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शब्द सुमन : आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
विश्ववाणी हिंदी संस्थान
४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन जबलपुर
९४२५१८३२४४, ७९९९५५९६१८
salil.sanjiv@gmail.com
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