अतीत
४५० साल पहले १५ लाख रुपए में बना था हुमायूँ का मकबरा
स्कॉटिश फोटोग्राफर जॉन मरे ने १८५८ में दूसरे मुग़ल शासक हुमायूँ के मकबरे की यह तस्वीर ली थी। तब मकबरे तक पहुँचने का पक्का रास्ता नहीं था। हुमायूँ की मौत के बाद उनकी पत्नी हमीदा बानो बेगम ने १५६२ में दिल्ली में मकबरा बनवाया। शुरुआत में तय हुआ कि मकबरा यमुना किनारे बनेगा। लेकिन बेगम चाहती थीं कि मकबरा हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के करीब बने। इसलिए जगह बदली गई। उस जमाने में इस मकबरे का परिसर ८ साल में बनकर तैयार हुआ। फारस (ईरान) से वास्तुकार मिराक मिर्जा गियाथ को बुलवाया गया था। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में चारबाग शैली की इमारत बनाई। पहली बार लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया। यह उपमहाद्वीप में ऐसा पहला मकबरा था जिसमें बाग बनाए गए थे। मकबरा परिसर में १०० से ज्यादा कब्रें हैं। बाद में हमीदा बेगम और शाहजहाँ के भाई दारा शिकोह को भी यहीं दफन किया गया था। कहा जाता है कि ताजमहल बनाने की प्रेरणा हुमायूं के मकबरे से ही मिली थी। १९९३ में यूनेस्को ने मकबरे को विश्व धरोहर घोषित किया।
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