लाल किला
लाल किला कभी था सफेदलाल किला शुरुआत में किला-ए-मुबारक कहलाता था।
पांचवें मुगल बादशाह शाहजहां ने 1638 में अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली लाने की सोची। इसके लिए दिल्ली के यमुना किनारे वाले इलाके को चुना। इलाका कहलाया शाहजहानाबाद। जबकि किले का नाम था किला-ए-मुबारक। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों ने अपने शोध के आधार पर निष्कर्ष निकाला कि किला वास्तव में सफेद था। लेकिन पत्थर की चमक फीकी पड़ने लगी और वह भूरा हो गया। इसके बाद मुगल शासकों और फिर अंग्रेजों ने इसे लाल रंग से रंग दिया। इस तरह नाम लाल किला पड़ गया। किले के शिल्पकार उस्ताद अहमद और उस्ताद हामिद थे। यहां दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास था जहां से मुगल कामकाज करते थे। बाद में यहां शानदार बगीचे बनाए गए। साफ-सुथरी यमुना कभी इस किले के पीछे से बहती थी।
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