मुझे चाँद नहीं चाहिए
लघुकथा संग्रह : बबीता चौबे, दमोह, मध्यप्रदेश।
कांता रॉय
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हमारी नन्हीं गौरैया अर्थात बबीता चौबे ने फिर से एक लम्बी उड़ान भरी है।
उनकी चिर-प्रतिक्षित लघुकथा संग्रह अब आपके सामने हाजिर है।
बड़े ही विश्वास से अपनी पाँडूलिपी महीनों पहले भोपाल में मुझे सौंप दी थी ये कहते हुए कि, "जिज्जी, लो, अब आपके हवाले है। पढ़ कर जो सही लगे करो!"
मैंने पढ़ी, मौलिक सोच लिए हुए कथ्य, बेहद तीव्र अभिव्यक्ति, एक अलहदा तरीके से सम्प्रेषित लघुकथाएं हैं।
काम को चिन्हित किया जाना चाहिए सो पुस्तक के रूप में अब आप सबके सामने है।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी के सहयोग से 'समन्वय प्रकाशन अभियान' के तहत पुस्तक का आना एक विशेष उपलब्धि है।
अनंत शुभकामनाएँ बबीता चौबे जी को।
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