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शनिवार, जनवरी 02, 2021

शनिवार, जनवरी 02, 2021 0
साक्षात्कार :
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' से मनोरमा जैन 'पाखी' की बातचीत 
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मनोरमा जैन--- 
नमस्ते सर ,वैसे तो आप किसी परिचय के मोहताज नहीं है। लेकिन फिर भी हमारे पाठक आपका परिचय आपके शब्दों में जानना चाहते हैं। 
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' 
शारद माता, भारत माता, हिंदी माँ का बेटा हूँ अरमान यही है।
जन्म दिया शांति मैया ने, राजबहादुर पिता, देह-पहचान यही है। 
नेह नर्मदा माँ ने पोसा, रमा-उमा माँ रक्षा करतीं, धन्य हुआ मैं-
श्वास-आस नंदिनी-इरावती, नौ मातृका करें ममता, रस-खान यही है।। 
परिचय : आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'। 
संपर्क: विश्व वाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपिअर टाउन, जबलपुर ४८२००१ मध्य प्रदेश। ईमेल- salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४, ७९९९५५९६१८। 
जन्म: २०-८-१९५२, मंडला, मध्य प्रदेश। 
माता-पिता: स्व. शांति देवी - स्व. राजबहादुर वर्मा। 
प्रेरणास्रोत: बुआश्री महीयसी महादेवी वर्मा। 
शिक्षा: त्रिवर्षीय डिप्लोमा सिविल अभियांत्रिकी, बी.ई., एम. आई. ई., विशारद, एम. ए. (अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र), एलएल. बी., डिप्लोमा पत्रकारिता, डी. सी. ए.। 
संप्रति: पूर्व कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग म. प्र. / पूर्व संभागीय परियोजना यंत्री परियोजना क्रियान्वयन ईकाई / सहायक महाप्रबंधक म.प्र. सड़क विकास निगम, अधिवक्ता म. प्र. उच्च न्यायालय, सभापति विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर - अभियान जबलपुर, संचालक समन्वय प्रकाशन संस्थान, पूर्व वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष / महामंत्री राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद, पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, पूर्व महामंत्री इंजीनियर्स फोरम इंडिया, संरक्षक राजकुमारी बाई बाल निकेतन जबलपुर, चेयरमैन इंडियन जिओटेक्नीकल सोसायटी जबलपुर चैप्टर। 
प्रकाशित कृतियाँ: १. कलम के देव (भक्ति गीत संग्रह १९९७) विमोचन जादूगर एस. के. निगम, २. भूकंप के साथ जीना सीखें (जनोपयोगी तकनीकी १९९७) विमोचन इंजी. आनंद स्वरूप आर्य , ३. लोकतंत्र का मक़बरा (कविताएँ २००१) विमोचन शायरे आज़म कृष्णबिहारी 'नूर', ४. मीत मेरे (कविताएँ २००२) विमोचन आचार्य विष्णुकांत शास्त्री तत्कालीन राज्यपाल उत्तर प्रदेश, ५. काल है संक्रांति का नवगीत संग्रह २०१६ विमोचन प्रवीण सक्सेना, लोकार्पण ज़हीर कुरैशी-योगराज प्रभाकर, ६. कुरुक्षेत्र गाथा प्रबंध काव्य २०१६ विमोचन रामकृष्ण कुसुमारिया मंत्री म. प्र. शासन, ७. सड़क पर नवगीत संग्रह विमोचन पूर्णिमा बर्मन। 
संपादन: (क) कृतियाँ: १. निर्माण के नूपुर (अभियंता कवियों का संकलन १९८३),२. नींव के पत्थर (अभियंता कवियों का संकलन १९८५), ३. राम नाम सुखदाई १९९९ तथा २००९, ४. तिनका-तिनका नीड़ २०००, ५. सौरभः (संस्कृत श्लोकों का दोहानुवाद) २००३, ६. ऑफ़ एंड ओन (अंग्रेजी ग़ज़ल संग्रह) २००१, ७. यदा-कदा (ऑफ़ एंड ओन का हिंदी काव्यानुवाद) २००४, ८. द्वार खड़े इतिहास के २००६, ९. समयजयी साहित्यशिल्पी प्रो. भागवतप्रसाद मिश्र 'नियाज़' (विवेचना) २००६, १०-११. काव्य मंदाकिनी २००८ व २०१०, १२. दोहा दोहा नर्मदा, १३. दोहा सलिला निर्मला, १४. दोहा दीप्त दिनेश। 
(ख) स्मारिकाएँ: १. शिल्पांजलि १९८३, २. लेखनी १९८४, ३. इंजीनियर्स टाइम्स १९८४, ४. शिल्पा १९८६, ५. लेखनी-२ १९८९, ६. संकल्प १९९४,७. दिव्याशीष १९९६, ८. शाकाहार की खोज १९९९, ९. वास्तुदीप २००२ (विमोचन स्व. कुप. सी. सुदर्शन सरसंघ चालक तथा भाई महावीर राज्यपाल मध्य प्रदेश), १०. इंडियन जिओलॉजिकल सोसाइटी सम्मेलन २००४, ११. दूरभाषिका लोक निर्माण विभाग २००६, (विमोचन श्री नागेन्द्र सिंह तत्कालीन मंत्री लोक निर्माण विभाग म. प्र.) १२. निर्माण दूरभाषिका २००७, १३. विनायक दर्शन २००७, १४. मार्ग (IGS) २००९, १५. भवनांजलि (२०१३), १७. आरोहण रोटरी क्लब २०१२, १७. अभियंता बंधु (IEI जबलपुर) २०१३। 
(ग) पत्रिकाएँ: १. चित्राशीष १९८० से १९९४, २. एम.पी. सबॉर्डिनेट इंजीनियर्स मंथली जर्नल १९८२ - १९८७, ३. यांत्रिकी समय १९८९-१९९०, ४. इंजीनियर्स टाइम्स १९९६-१९९८, ५. एफोड मंथली जर्नल १९८८-९०, ६. नर्मदा साहित्यिक पत्रिका २००२-२००४, ७. शब्द समिधा २०१९, सृजन साधना २०२० । 
(घ). भूमिका लेखन: ६५ पुस्तकें। 
(च). तकनीकी लेख: १५। 
(छ). समीक्षा: ३०० से अधिक। 
अप्रकाशित कार्य- 
मौलिक कृतियाँ: 
जंगल में जनतंत्र, कुत्ते बेहतर हैं ( लघुकथाएँ), आँख के तारे (बाल गीत), दर्पण मत तोड़ो (गीत), आशा पर आकाश (मुक्तक), पुष्पा जीवन बाग़ (हाइकु), काव्य किरण (कवितायें), जनक सुषमा (जनक छंद), मौसम ख़राब है (गीतिका), गले मिले दोहा-यमक (दोहा), दोहा-दोहा श्लेष (दोहा), मूं मत मोड़ो (बुंदेली), जनवाणी हिंदी नमन (खड़ी बोली, बुंदेली, अवधी, भोजपुरी, निमाड़ी, मालवी, छत्तीसगढ़ी, राजस्थानी, सिरायकी रचनाएँ), छंद कोश, अलंकार कोश, मुहावरा कोश, दोहा गाथा सनातन, छंद बहर का मूल है, तकनीकी शब्दार्थ सलिला। 
अनुवाद: 
(अ) ७ संस्कृत-हिंदी काव्यानुवाद: नर्मदा स्तुति (५ नर्मदाष्टक, नर्मदा कवच आदि), शिव-साधना (शिव तांडव स्तोत्र, शिव महिम्न स्तोत्र, द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र आदि),रक्षक हैं श्री राम (रामरक्षा स्तोत्र), गजेन्द्र प्रणाम ( गजेन्द्र स्तोत्र), नृसिंह वंदना (नृसिंह स्तोत्र, कवच, गायत्री, आर्तनादाष्टक आदि), महालक्ष्मी स्तोत्र (श्री महालक्ष्यमष्टक स्तोत्र), विदुर नीति। 
(आ) पूनम लाया दिव्य गृह (रोमानियन खंडकाव्य ल्यूसिआ फेरूल)। 
(इ) सत्य सूक्त (दोहानुवाद)। 
रचनायें प्रकाशित: मुक्तक मंजरी (४० मुक्तक), कन्टेम्परेरी हिंदी पोएट्री (८ रचनाएँ परिचय), ७५ गद्य-पद्य संकलन, लगभग ४०० पत्रिकाएँ। मेकलसुता पत्रिका में २ वर्ष तक लेखमाला 'दोहा गाथा सनातन' प्रकाशित, पत्रिका शिकार वार्ता में भूकंप पर आमुख कथा।
परिचय प्रकाशित ७ कोश।
अंतरजाल पर- १९९८ से सक्रिय, हिन्द युग्म पर छंद-शिक्षण २ वर्ष तक, साहित्य शिल्पी पर 'काव्य का रचनाशास्त्र' ८० अलंकारों पर लेखमाला, शताधिक छंदों पर लेखमाला।
विशेष उपलब्धि: ५०० से अधिक नए छंदों की रचना।, हिंदी, अंग्रेजी, बुंदेली, मालवी, निमाड़ी, भोजपुरी, छत्तीसगढ़ी, अवधी, बृज, राजस्थानी, सरायकी, नेपाली आदि में काव्य रचना। 
सम्मान- ११ राज्यों (मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरयाणा, दिल्ली, गुजरात, छत्तीसगढ़, असम, बंगाल, झारखण्ड) की विविध संस्थाओं द्वारा शताधिक सम्मान तथा अलंकरण। प्रमुख - संपादक रत्न २००३ श्रीनाथद्वारा, सरस्वती रत्न आसनसोल, विज्ञान रत्न, २० वीं शताब्दी रत्न हरयाणा, आचार्य हरयाणा, वाग्विदाम्बर उत्तर प्रदेश, साहित्य वारिधि, साहित्य शिरोमणि, वास्तु गौरव, मानस हंस, साहित्य गौरव, साहित्य श्री(३) बेंगलुरु, काव्य श्री, भाषा भूषण, कायस्थ कीर्तिध्वज, चित्रांश गौरव, कायस्थ भूषण, हरि ठाकुर स्मृति सम्मान, सारस्वत साहित्य सम्मान, कविगुरु रवीन्द्रनाथ सारस्वत सम्मान कोलकाता, युगपुरुष विवेकानंद पत्रकार रत्न सम्मान कोलकाता, साहित्य शिरोमणि सारस्वत सम्मान, भारत गौरव सारस्वत सम्मान, कामता प्रसाद गुरु वर्तिका अलंकरण, उत्कृष्टता प्रमाणपत्र, सर्टिफिकेट ऑफ़ मेरिट, लोक साहित्य शिरोमणि अलंकरण गुंजन कला सदन जबलपुर २०१७, राजा धामदेव अलंकरण २०१७ गहमर, युग सुरभि २०१७, आदि। इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी में तकनीकी लेख 'वैश्विकता के निकष पर भारतीय यांत्रिकी संरचनाये को द्वितीय श्रेष्ठ तकनीकी प्रपत्र पुरस्कार महामहिम राष्ट्रपति द्वारा। 
मनोरमा जैन --- साहित्य के प्रति आपकी रुचि कैसे जागृत हुई?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
पाखी जी, ईश-कृपा से मसिजीवी कायस्थ कुल में जन्म मिला। पितृश्री की साहित्यिक अभिरुचि थी। मातुश्री भक्तिपरक रचनाएँ लिखकर रामायण मंडली में गाती थीं। अग्रजा आशा वर्मा शालेय जीवन में साहित्यिक रचनाएँ सुनाती-समझाती थीं। गुरुवर सुरेश उपाध्याय तथा श्रीराम गोंटिया 'श्रीमृत' ने शालेय अध्ययन काल में प्रोत्साहित किया तथा गंभीर लेखन हेतु प्रेरणा बुआश्री महीयसी महादेवी जी से मिली। घर में पुस्तकों का संग्रह आरंभ से देखा यद्यपि बचपन में पुस्तकें सुरक्षा की दृष्टि से बच्चों को नहीं दी जाती थीं। माँ  प्रतिदिन रामचरित मानस के कुछ दोहे बच्चों से पढ़वाती थीं। पिताश्री जेलर होने के नाते हमारा आवास जेल परिसर में होता था। जेल परिसर में बने मंदिर में हर शाम को सिपाही एकत्र होकर रामचरित मानस पाठ तथा भजन गायन करते थे। कुछ बड़ा होने पर मैं भी वहाँ जाता था। कविता के प्रति प्रेम 'रामचरित मानस' और लोक गीतों से ही उत्पन्न हुआ। जेल में बंद कैदी एकाकीपन से परेशान होकर और घर की याद आने पर बैरकों में बंद होने पर भी लोकगीत गाते थे। विशेषकर पर्वों और ऋतु परिवर्तन के समय उनके स्वर मन को छू जाते थे। इस सब पृष्ठभूमि ने कब मानस पट पर भाषा, साहित्य और छंदों के बीज बो दिए, जान ही नहीं सका।  
मनोरमा जैन--साहित्य से पृथक अभिरुचि के विषय क्या-क्या हैं ?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'  
छात्र जीवन में  स्काउट, ए.सी.सी., एन.सी.सी. से जुड़ा रहा। बड़ा होने पर हिंदी प्रसार, छंद शिक्षण, हिंदी में तकनीकी लेखन, पर्यटन, छायांकन, नाट्याभिनय, पर्यावरण सुधार (जल संरक्षण, कचरा निस्तारण,  व्यर्थ पदार्थों का पुनर्प्रयोग, पौधरोपण), समाज सुधार (बाल शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, नर्मदा बचाओ आंदोलन, छात्र युवा संघर्षवाहिनी के साथ आपातकाल विरोध, दहेज़ निषेध), डाक टिकिट  संकलन,सिक्का  संकलन, पुस्तक संग्रह आदि में मेरी रूचि व सक्रियता अब तक है।     
मनोरमा जैन-,आपकी पसंदीदा विधा कौन सी है, जिसमें आप ज्यादा लिखना पसंद करते है?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
छांदस काव्य रचनाएँ, संस्मरण, समीक्षा लेखन और तकनीकी विषयों पर लेखन मुझे प्रिय है। 
मनोरमा जैन --साहित्य की एक वह विशेष बात क्या रही जिसने आप को सबसे अधिक आकर्षक किया?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
साहित्य में अन्तर्निहित 'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' तथा 'सत्य-शिव-सुंदर' सृजन की वृत्ति मुझे मोहती है। 
मनोरमा जैन-- आप अपनी सशक्त लेखनी के लिए जिम्मेदार किसको मानते हैं अर्थात प्रेरणा स्रोत किसे मानते हैं
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
स्वजनों से प्राप्त संवेदनशीलता और प्रोत्साहन तथा सामाजिक परिवेश को मुझे कलम का सिपाही बनाने का श्रेय है। 
मनोरमा जैन ---आपके जीवन में ऐसी कोई घटना विशेष घटना जो प्रेरणादायक रही है और आप उसे गर्व से साझा करना चाहते हैं?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
ऐसी अनेक घटनाएँ हैं। मैं लगभग १० वर्ष  था जब भारत पर चीन ने हमला किया। मैं चौथी कक्षा में था। देशवासियों में राष्ट्रीय चेतना और सुरक्षा की भावना जाग्रत करने के लिए प्रभातफेरी जाती, सेना सहायता कोष में विद्यार्थियों द्वारा एक आने का सहयोग हर माह किया जाता।झंडा दिवस पर सेना के चिन्हांकित झंडे हमें दिए जाते,  जिनका विक्रय कर राशि स्कूल में जमा करनी होती थी। तब एक-एक पैसे की कीमत थी। हम ६ भाई-बहिन थे। आय का एकमात्र साधन पिताजी का वेतन था। सभी भाई-बहिनों को सुरक्षा निधि देना होती। आर्थिक बचत के लिए हम बाजार से किराना-सब्जी आदि हाथों में लेकर आते,  रिक्शा नहीं करते थे। माँ ने प्रोत्साहित कर मुझे थैले में गेहूं दिया और मैं पहली बार आटा चक्की से पिसाकर लाया। माँ ने पिताजी को बताया तो उन्होंने दी और इनाम में एक पेन्सिल दी  नीली आधी लाल थी। श्रम की महत्ता  समझाने, स्वावलंबी बनाने और राष्ट्रीय हितों से जुड़ने का सबक माँ-पापा  तरह दिया। शासकीय अधिकारी होते हुए भी पिताजी ने हमें कोई विशेष सुविधा न दी। हम पैदल ही स्कूल जाते। बड़ी बहिन लगभग ५ किलोमीटर पैदल चलकर महाविद्यालय जाती थीं। वे हमारे खानदान की पहली लड़की हैं जिन्होंने स्नातक, स्नातकोत्तर शिक्षा पाई और शिक्षिका बनीं। जब मैं मधमिक कक्षाओं में आया तो मुझे विद्यालय जाने के लिए पिताजी नेअपनी रॉयल सुप्रीम साइकिल दी जो इंग्लैंड की बनी थी। उसके साथ चकों में हवा भरने के लिए पंप और ट्यूब का पंचर सुधारने का सामान सोलुशन, पाने, पेंचकस, पिंचिस आदि भी दिए, खुद हवा भरकर दिखाई और पंचर बनाने का समझाया। अपना काम खुद करने और किसी काम को करने हिचक-शर्म अनुभव न करने की प्रवृत्ति यहीं से मैंने सीखी और  इस पर मुझे गर्व है।           
मनोरमा जैन--आपको क्या लगता है एक लेखक की कलम का उद्देश्य आत्मसुखाय चलना सही है या साहित्य और समाज कल्याण करते हुए? 
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
रचनाकार का कार्य निरंतर नव सृजन करना है। साहित्य वह है जिसमें सबका हित समाहित हो। सबके हित में ही रचनाकार का हित है। 'आत्म ही परमात्म' इसलिए 'स्वांत: सुखाय' ही 'सर्वांत: सुखाय' है। 
मेरा-तेरा सोचता, जो मन होता हीन।
सबका सबमें देख हित, रचना करे प्रवीण।।     
मनोरमा जैन --आपकी रचनाओं में साहित्य की लुप्तप्राय समृद्ध शब्दावलियों के साथ-साथ आँचलिक भाषा का समन्वय मिलता है, आप इस पर क्या कहेंगे?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
रचना का कथ्य जब जिन शब्दों की माँग करते हैं, जिन शब्दों के माध्यम से बात प्रभावी  हो, वही शब्द सुनना उचित है। कई वर्षों तक निरंतर हर दिन हिंदी और बोलिओं की पुस्तकें, पत्रिकाएँ पढ़ने के कारण मुझे शब्द-चयन में सुविधा होती है। शब्द भंडार का समृद्ध होना और सटीक शब्द चुनना दीर्घ अध्ययन का प्रतिसाद है।     
मनोरमा जैन---एक साहित्यकार के रूप में आपके मित्र और परिवार के लोग आपको कितना पंसद करते है?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
बड़ों से आशीर्वाद और छोटों से सम्मान  पाना मेरे साहित्यकार का पाथेय है। मैं सौभाग्यशाली हूँ कि स्वजनों-परिजनों  से कभी मुखर, कभी मौन सहयोग  मुझे मिलता रहा है। साहित्य की जिन्हें समझ और कद्र नहीं है, उनके मत या उपहास मेरे संकल्प को दृढ़ करते रहे, लिखने की चुनौती बनते रहे और इससे मैं अधिक लिख सका।  
मनोरमा जैन-- सलिल जी, आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रति आप क्या दृष्टिकोण रखते हैं? आपके विचार से साहित्य को और समृद्ध बनाने के लिए क्या क़दम उठाया जाना चाहिए?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
साहित्य को पुरातन या आधुनिक कहने का कोई आधार नहीं है। आज भी वैदिक, पौराणिक साहित्य पर लिखा जा रहा है। जिसे आज आधुनिक कहा जाता है, कल पुराना होगा। आज भी अंधभक्ति परक लेखन हो रहा है, अतीत में भी प्रगति परक लेखन हुआ है। एक ही देश-काल में सभी तरह का सहित लिखा जाता है। मेरे विचार में समकालिक साहित्य अधिक महत्वपूर्ण होता है। वह अतीत की पृष्ठभूमि और भविष्य के अनुमान के मध्य सेतु का कार्य करता है। यह सामयिक साहित्य ही 'आधुनिक' कहा जाता है।  कोइ साहित्य हमेशा आधुनिक नहीं होता। 
मनोरमा जैन--क्या अब तक आपकी कोई साहित्यिक पुस्तक प्रकाशित हुई है?यदि छपी है तो उसके विषय में भी कुछ बताएं।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
मेरी प्रकाशित कृतियां कलम के देव भक्ति गीत संग्रह, लोकतंत्र का मकबरा और मीत मेरे काव्य संग्रह, भूकंप के साथ जीना सीखें लोकोपयोगी तकनीकी कृति, काल है संक्रांति का व् सड़क पर गीत-नवगीत संग्रह हैं। कुरुक्षेत्र गाथा प्रबंध काव्य का मैं सह रचनाकार हूँ। 
मनोरमा जैन--गद्य लेखन और पद्य लेखन में आप किसे सहज विधा मानते हैं और क्यों?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
रचनाकार कथ्य के अनुरूप विधा का चयन करता है। प्रे: अधिकांश रचनाकार गद्य और पद्य दोनों में लिखते हैं। कुछ रचनाकार पद्य या गद्य में से किसी एक को सहजता से लिख पते हैं जबकि अन्य में उनकी गति नहीं हो पाती। माँ शारदा की कृपा से मुझे गद्य और पद्य दोनों ही सहज साध्य हैं। 
मनोरमा जैन--आज पद्य लेखन की ओर रचनाकार अधिक आकृष्ट हैं क्या कारण मानते हैं आप ? छंद सृजन में मुख्य बात क्या है?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
हर काल में गद्य और पद्य दोनों लिखे जाते हैं। वर्तमान में पद्य अधिक लिखा जा रहा है इसका कारण शिक्षा का प्रसार, बेहतर आर्थिक स्थिति और यशैषणा है। गद्य को कवियों की कसौटी कहा गया है। सहजता की तलाश पद्य रचना की ओर ले जाती है। पद्य रचनाएँ लघ्वाकारी होती हैं, कम समय में लिख ली जाती हैं। सरलता और समयाभाव भी लघु काव्य रचनाओं कीव् अधिकता का एक कारण हैं। 
मनोरमा जैन--नए लेखक या कवियों के लिए आपका क्या दृष्टिकोण हैं? उनके लिए क्या सन्देश देना चाहेंगे?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
मेरे एक गीत का मुखड़ा है 'पहले एक पसेरी पढ़ / फिर तोला लिख', नव रचनाकारों को अधिक से अधिक पढ़ना और सोचना चाहिए। चिंतन-मनन ही स्तरीय लेखन का पथ प्रशस्त करता है। अधिकाधिक अध्ययन शब्द भंडार और अभिव्यक्ति सामर्थ्य की वृद्धि करता है। कल, आज और कल की समस्याओं, उनके कारणों, प्रभावों और निराकरण के उपायों को अधिकाधिक पढ़कर ही जाना जा सकता है। लेखन कार्य सारस्वत अनुष्ठान है। साहित्य का प्रभाव दीर्घकालिक होता है। इसलिए, गंभीरता और उद्देश्यपरकता को ध्यान में रखकर लिखन चाहिए। किसी का अनुकरण न कर, अपनी अनुभूतियों को इस तरह अभिव्यक्त करना चाहिए कि किसी का मन आहत न हो, देश और समाज का अहित न हो। सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार कर देश और समाज के वीएक्स में सहायक उद्देश्यपूर्ण सृजन करना चाहिए। 
मनोरमा जैन- सर क्या आपकी नज़र में कोई ऐसा है जो गद्य विधा को पुनः मूलतः अस्तित्व हेतु प्रयास कर रहा है? अगर हाँ तो कौन और क्या प्रयास?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
यह प्रश्न अस्पष्ट है। हर काल में गद्य के माध्यम से उद्देश्यपरक सृजन किया जाता रहा है। जब मनुष्य है, उसकी अनुभूतियाँ हैं , अनुभूतियाँ हैं तो उनकी अभिव्यक्ति होना स्वाभाविक है। जब अभिव्यक्ति व्यक्तिपरक न होकर समष्टि परक होती है, तभी साहित्य जन का, जान के लिए हुए जन के द्वारा होता है। वर्तमान में भी अधिकांश रचनाकार उद्देश्यपरक लेखन करते हैं। सोद्देश्य लेखन हो किंतु उद्देश्य सर्वजन हिताय हो, स्वसुख नहीं।    
मनोरमा जैन --गद्य विधा हेतु आप किसको अपना आदर्श मानते हैं और क्यों?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
गद्य में महीयसी महादेवी वर्मा जी, प्रेमचंद, शिव वर्मा, यशपाल, आचार्य चतुरसेन, अमृतलाल नागर, भगवतीचरण वर्मा, जैनेन्द्र कुमार, शिवानी, रामविलास शर्मा, नरेंद्र कोहली, हरिशंकर परसाई आदि का मैं प्रशंसक हूँ।
पद्य में प्रसाद, दद्दा, दादा, निराला, पंत, महादेवी जी, सुभद्रा जी, नवीन, अश्क, दिनकर, बच्चन, नीरज, विराट आदि मुझे प्रिय हैं। 
मनोरमा जैन --हमारे लिए कोई दिशा निर्देश देना चाहें तो स्वागत है। 
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
किसी दिशा-निर्देश की न तो आवश्यकता है न उपादेयता। 
मनोरमा जैन-- एक अभियंता होते हुये साहित्य-सृजन को किस दृष्टिकोण से देखते हैं?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
हर रचनाकार अपनी सृजन-सृष्टि का ब्रह्मा होता है। सृजन का प्रभाव चिरकालिक होता है इसलिए सकारात्मक ऊर्जा संपन्न, समाधानकारक, सार्थक लेखन किया जाना चाहिए। मैं मानता हूँ कि वर्तमान सामाजिक विघटन और अपराधवृद्धि का एक प्रमुझ कारण नकारात्मक, निराशावादी और विसंगति-विडम्बना प्रधान साहित्य का सृजन है। साहित्य घोर तिमिर में रह दिखाते दीपक की तरह हो। 
एक अभियंता होने के नाते मैं साहित्य को समाज का निर्माता हूँ। ख़राब साहित्य रच रहा समाज अच्छा नहीं हो सकता। साहित्य को समाज का दर्पण कहा गया है किन्तु मेरे विचार में साहित्य समाज का प्रतिबिम्ब है, दर्पण तो रचनाकार का मन है।  
मनोरमा जैन-- महीयसी आपकी बुआ रहीं हैं तो हम जानना चाहते हैं क्या खास रिश्ता था अथवा पारिवारिक ? 
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
मेरे पूर्व जन्मों का सुकृत है कि मुझे बुआ श्री महीयसी महादेवी जी से वात्सल्य, आशीर्वाद और प्रेरणा मिली। पारिवारिक संबंधों को मैंने कभी प्रचार या लाभ का माध्यम नहीं बनाया, छिपाया भी नहीं। इन्हें सामान्यत: पृष्ठभूमि में रहना चाहिए। 
मनोरमा जैन-- महादेवी जी की कौन सी खास बात है जो आपको प्रेरक लगती है ? 
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
बुआश्री ने एक पत्र में मुझे आशीषित करते हुए लिखा था- ''महाभारतकार का यह वाक्य हमेशा स्मरण रखना 'नहि मनुष्यात् श्रेष्ठतरं हि किंचित्' मनुष्य  श्रेष्ठ कुछ  नहीं होता और जब धन-संपत्ति या सत्ता को मनुष्य पर वरीयता दी जाती है तब न धन-संपत्ति या सत्ता बचती है, न मनुष्य। तुम्हें आशीर्वाद देती हूँ धन का मोह तुम्हें कभी न व्यापे।''  
मनोरमा जैन-- उनकी रचनाओं की मुख्य विशेषता क्या हैं?
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' 
इस प्रश्न का उत्तर देने में तो एक पूरी किताब ही बन जाएगी तथापि एक शब्द में कहूँ तो 'मर्मस्पर्शिता', मन को छूने की शक्ति।  
मनोरमा जैन-- लोगों से सुना है आद. महादेवी जी का सृजन उनकी निजी जिंदगी से बावस्ता है ,क्या यह सही है ? 
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
हर रचनाकार अपनी अनुभूतियों को अभिव्यक्त करता ही है। अनुभूतियाँ उसके जीवन में ही होती हैं। यह अवश्य है कि वह अन्यों की अनुभूतियाँ का साक्षी-दर्शक होकर या उसकी  कल्पना कर उन्हें अभिव्यक्त करता है। महीयसी के संस्मरण और रेखाचित्र उनके जीवन से जुड़े पात्रों से संबंधित हैं। इस दृष्टी  कथन सही है किन्तु अपनी व्यक्तिगत पीड़ा या हर्ष को उन्होंने 'स्व' नहीं 'सर्व' की दृष्टि से ही अभिव्यक्त  किया है। 
मनोरमा जैन-- आप प्रकाशन के क्षेत्र में कब और किन परिस्थितियों में आये? 
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
प्रकाशन मेरा व्यवसाय या आजीविका नहीं, शौक है। प्रकाशकों द्वारा शोषित होने, अपने धन से किताबें प्रकाशित कर उनकी तिजोरी भरने से बेहतर लगा कि खुद ही अपनी और अपने साथियों की पुस्तकें छपा लूँ। 
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ANWER JAMAL मुक्तक मुक्तिका लेख शिव ब्लोगोत्सव-2010 contemporaray hindi poetry acharya sanjiv verma 'salil' geet navgeet नया साल Dabir News गीत jabalpur दोहा संस्‍कृतं- भारतस्‍य जीवनम् कविता समीक्षा india प्रबल प्रताप सिंह hindi gazal chhand muktika दोहा सलिला दुबे सरस्वती contemporary hindi poetry hindi chhand ईश्वर कुण्डलिया जीवन दिवाली विज्ञान विमर्श doha sharda कविताएँ कृष्ण नारी हिन्दी EJAZ AHMAD IDREESI LBA रूबरू hindi jangal madhya pradesh. muktak swatantrata divas अविनाश ब्योहार आलेख इतिहास कर्म कार्यशाला दोहा यमक नरक चौदस नव वर्ष बसंत भारत मन महफूज़ अली माया यमक दोहा राधा व्यंग्य सूरज सृष्टि 'Ayaz' 'कामसूत्र' 007 indian bond Dr.Aditya Kumar anugeet bharat chaupade. hindi chaupade. hindi chhnad de. kamal jauharee dogra devki nandan 'shant haiku gazal hindi sattire. nav varsh panee rang sarasvati shabd vandana अगीत अगीत महाकाव्य अभियांत्रिकी अरविन्द मिश्रा अष्ट मात्रिक छंद आतंक-परिवार एक्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ल़ा बोर्ड ओबामा कलह कथा कवि कविता दिया काकोरी कांड कान्हा खुदा खेल गज़ल गणतंत्र दिवस गणेश गन्ना ग्यारस ग़ज़ल छंद गाँधी गीत नया साल गुरु चित्रगुप्त चेतन जज्वात जनगीत : हाँ बेटा जहां ज्ञान डा सत्य तसलीस दक्षिण भारत दिल से दिवाली दोहा दीप देव उठनी एकादशी देश दोहा दिवाली दोहा शिव दोहे धन तेरस धर्म धर्म-संस्कृति नवगीत नया साल नेताजी पत्र परिकल्पना पीस पार्टी पुरातत्व पूर्णिमा बर्मन प्रेम प्लीज़ बसंत शर्मा बेटी ब्लागरमीट भक्ति भजन भवन दोहा भाई दूज मानव माहिया मिथिलेश दुबे मुक्तक सलिला यादें रात रूप चतुर्दशी लखनऊ ब्लॉगर असोसिएशन का अध्यक्ष पद लारैब: हर बात हक़ बात शिव दोहा शुभकामनाएं श्रद्धांजलि षट्पदी संस्कृति सत्य समय समीक्षा नवगीत सरस्वती वंदना सुमन लोकसंघर्ष सोरठा सड़क पर हाइकु हाइकु गीत हाइकु सलिला हाथी हिंदी आरती होली ग़ज़ल ' Association का नया अध्यक्ष ' 'Taj mahal' 'The blessings' 'The nature' 'The purification of human heart ' 'Valentine day' 'charchashalimanch के सदस्य बनें और समाज को बेहतर बनाएँ' 'ibadat puja' 'अनाथ बच्चे-बच्चियों की दिल से सहायता करना' 'इस्लाम एक प्राकृतिक व्यवस्था है' 'एलबीए 'एलबीए और हिन्दी की बेहतरी के लिए विदुषी महिला अध्यक्ष' 'औरत' 'कविता' 'कितने ही दर्शन तो ईश्वर का वजूद ही नहीं मानते' 'कीटनाशक' 'क्या ईश्वर भी कभी अनीश्वरवादी हो सकता है ?' 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WILDLIFE. JUNGAL. Tips & Tricks WILDLIFE aag aankh aarati ajadee alankar alvida aman ka paigham amrit anchal anugeet chhand arab india relation arth asmyik hindi kavita atal biharee ayodhya balidan banee basant bhagat azad. bhajan bhasha bhav bimb bhojpuree bhojpuri doha bhoo bhopal book review bundelee chatushpadee chhatisgarhee chunautiyan chunav creation creatior daman dandkala chhand dard dard una ladakon ka desh dharm aur lekhan dhool dhuaan dil doha gazal dohe durmila chhand educational institute in india elegy emaan falak fasal galib ganesh datt sarasvat gantantra divas garal gas treagedy geeta chhand geetika ghalib gulf news haiku hamara dharm harish singh harsh hindee ke haiku hindi laghu katha hindi short story. kargil hindi shortstory hindi smriti geet hinsa aur ham http://sajiduser.blogspot.com/ http://www.sajiduser.blogspot.com/ imarat. india is great india. indian women and arabian shekh indipendence day jabalpur. jannah is man's destination jantantra jhulna chhand kabeer kaikeyee kamand chhand kamlinee kamroop chhand khalish khazana. kiran kriti charcha laghukatha lakhnaoo laloo laxmi lay lokneeti. loktantra lotus love manav mandir manhagaayee marhatha chhand maut meeran krishna megh mekal mirza ghalib narmada neta pakistan pita father's day prakriti prarthna pratibandh pratibha prem pyar quran and gayatri mantra rachna rachnakar radha rajneeti ram janm bhoomi ras sabab sada sakhee salgirah. sanjiv sansadji.com saraswati sat satyagrahee. sanjiv 'salil' shaheed shakeel badyoonee ship shiv shok geet shok samachar sincerity in intention sitasat siya soniya gandhi stuti sundar svasthya aur uchit ilaj svatantrata swaroopanand tadbeer talent. tam taqdeer the world is not enough tomorrow may be or not may be toofan tribhangi chhand ujala ummeed ved and quran ved mantra veenapanee vidyarthiji vivadit maamale aur ham vivek ranjan wildlife DUDHWA अ ध्यक्ष अंग्रेज़ी अंचरा अंतराग्नि अंतर्द्वंद्व अंतर्मंथन अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स सम्मेलन अंतस अंधविश्वास अंशकालिक अनुदेशक अखंडता अगीतायन अग्ने अग्रवाल अचेतन अठखेली अति सुखा अभिलाषा अतीत अतुकांत कविता अदा अदावत अनमन अनवर जमाल अनाहत नाद. अनाहिता अनुकूला छंद अनुप्रास अनैतिकता अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस अन्धविश्वास अन्न अन्नकूट अन्ना हज़ारे अन्य कविताएँ अप:तत्व अपरा-शंभु संयोग अपराधीकरण अपशब्द अभिभावक अभियंता अभियान २६-२-२०२१ अभेद बुद्धि अमरकंटक छंद अमरेंद्र अनारायण अमोघ अस्त्र अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर' अरमां अर्धनारीश्वर अल्पना अल्लाह अवतार अशांति अशोभनीय - धन अश्वती तिरुनाळ गौरी लक्ष्मीभायी असार असीम आस्था अहं आँख आँवला आंकिक उपमान आंसू आचार्य भगवत दुबे आचार्य संजीव वर्मा "सलिल" आज आजादी आणविक परिवार आतंक की समस्या आतंक हैरान नज़रें आदत आदि-वाणी आदिशक्ति आभा सक्सेना आभूषण आरक्षण आर्टेमिस आलिंगन आलेख- मत करें उपयोग इनका आल्हा गीत भारतवारे बड़े लड़ैया आवश्यक सूचना आशनां आस्था आज़ाद शहीद दिवस इंडियन जिओटेक्नीकल सोसायटी जबलपुर इंडियन ब्लॉगर्स असोसिएशन इच्छा इच्छाएं इन्डली इन्डियन धारावाहिक इन्डिया गेट इमली ईषत इच्छा उ. प्र. राजनीति के ये घोटाले उक्ति उचित मार्ग उत्तर प्रदेश असोसिएसन उत्तर प्रदेश का सच उत्तर प्रदेश ब्लॉगर्स एसोसियेशन उदारीकरण उदासीनता उधार उपन्यासकार और पटकथा उमन्ग उर्दु उल्लाला छंद उषा ऋचाएं ऋतु ऋषि ऋषि अनंग एक तत्व एक रचना आगे मत जा एकाक्षरी श्लोक एतबार एश्वर्य एसिड की शीशी एसे गीत ऐसी तान ओउम ओमप्रकाश तिवारी औरत क्या है कंगना कछारन कथा निराली | कथा-गीत बूढ़ा बरगद कन्घा कन्या भ्रूण-हत्या कब क्या : जनवरी कब्र कर्नाटक कलम कलियुग के मोहन कलुष कल्पना कल्पना रामानी कवि लखनऊ कविता दिया २ कविता दुबे कवित्त कांता रॉय जबलपुर में कागतन्त्र है कागज़-कलम कानून काफिया काम-सृष्टि कामनाएं कामरूप छंद कामिनि कायदे कायस्थ कारण कारण-ब्रह्म कारोबार कार्य कार्यशाला दोहा से कुण्डलिया कार्यशाला : मुक्तक कार्यशाला दोहा से कुण्डलिया कार्यशाला पद कार्यशाला- ​​​​छंद बहर का मूल है- २ कार्यशाला: दोहा - कुण्डलिया कालकांज काव्य और छंद काव्य गोष्ठेी काव्य छंद काव्य शाला काव्यानुवाद किसान किसान माहिया कीर्तिदा कुंभ कुञ्ज गली कुरआन कृष्ण कुमार "बेदिल" कृष्ण कुमार 'बेदिल' कृष्णमोहन छंद कोरोना कौन क्यूं न हुआ क्रमिक विकास क्षणिका खुरचहा पति खुशबू खुशियों की थिरकन खुशी खेल-व्यवसाय खेळ खौफ गंगटोक सवैया गंगा दोहा गंगोदक सवैया गणतंत्र गणतंत्र दोहे गणितीय मुक्तक गरिमा सक्सेना गरीबी ग़ज़ल अंदाज़े-बयाँ गाँव की गोरी गांव की समस्या; लेख;शिव गाय की रोटी गाली गीत चिरैया गीत - सियाहरण गीत : नया साल गीत अम्बर का छोर गीत काम तमाम तमाम का गीत कौन हैं हम? 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नवगीत गोल क्यों? नवगीत घोंसले में नवगीत छोडो हाहाकार मियाँ! नवगीत जगो सूर्य आता है नवगीत त्रिपदिक नवगीत दर्पण का दिल नवगीत दिवाली नवगीत नव वर्ष नवगीत नागफनी उग आयी नवगीत निर्माणों के गीत नवगीत पहले गुना नवगीत भटक न जाए नवगीत भीड़ में नवगीत मिली दिहाडी नवगीत में नए रुझान नवगीत राम बचाए नवगीत रार ठानते नवगीत लोकतंत्र का पंछी नवगीत वह खासों में खास है नवगीत शिव नवगीत संक्रांति काल है नवगीत संग्रह नवगीत सत्याग्रह के नाम पर नवगीत समय वृक्ष नवगीत समीक्षा नवगीत सड़क पर नवगीत सड़क पर... नवगीत: उगना नित नवगीत: उड़ चल हंसा नवगीत: दीन प्रदर्शन नवगीत: नाम बड़े हैं नवगीत: भाग्य कुंडली नवगीत: लोकतंत्र का पंछी बेबस नवगीत: कुण्डी खटकी नवगीत: छोडो हाहाकार मियाँ! नवगीत: बजा बाँसुरी नवगीत: भारत आ रै नवगीत: रब की मर्ज़ी नवभारत टाईम्स नशा नाक की सर्जरी नाग नाभिक ऊर्जा नारि नारी मुक्ति नारी-भाव नाश प्रकृति का निर्निमेष निर्विकार निष्काम कर्म निष्ठुरता नीति व्यवहार नीति-नियम नीति-व्यवहार नीलकंठ नेकियां नेह नर्मदा तीर पर नेह-नाता नैतिकता नैन-डोर नैना नौ कन्या न्यू-ईयर गिफ्ट नज़र नज़ारा पंचौदन अजः पद चिन्ह पद-चिन्ह पद्मिनी परब्रह्म परम-पिता परमाणु परमानंद परमार्थ परलोक परहित पराग पराया-धन पल- छिन पशु पहलू पाँच पर्व पायल पिचकारी पीयूषवर्ष छंद पीर पुरुषार्थ पुरोवाक : यह बगुला मन पुरोवाक ओस की बूँद पुरोवाक केरल एक झाँकी पुरोवाक बुधिया लेता टोह पुरोवाक् पुलिस पूजा पूर्ण-ब्रह्म पूर्णकाम पृथ्वी पैरोडी पोखर ठोके दावा प्यार प्रकृति प्रकृति दोहन प्रकृति बादल प्रजापति प्रणम्य शहीद प्रणय प्रणय -दीप प्रणय के पल प्रतिकण प्रतियोगिता प्रत्रकार प्रदूषण प्रभाव प्रभु प्रभु ज्ञान प्रश्न मन के प्राण शर्मा प्रातस्मरण स्तोत्र प्रिय प्रवास प्रीति के रंग प्रीति-चलन प्रेम के छःलक्षण प्रेम प्याला प्रेम ममता फरवरी कब क्या? 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आप सभी को हर्ष और बधाई के साथ यह सूचना देना चाहता हूँ कि LBA अपनी सफलता के उस मुक़ाम तक आ चुका है कि इसकी सदस्यता संख्या अपने चरण तक पहुँच चुकी है और जो ब्लॉगर्स बन्धु इससे जुड़ने की इच्छा रख रहे हैं और जिनके मेल मुझे मिल रहे हैं उसको मद्देनज़र रखते हुए नयी सदस्यता के इच्छुक ब्लॉगर्स को एक और भी शक्तिशाली और नया मंच का गठन आज किया जा रहा है जिसका नाम है 'ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन' अर्थात AIBA ! इस मंच का हिस्सा सभी भारतीय बन सकते है, फ़िर चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में रह रहें हों !!!
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