ॐ
अगिन नमन गणतंत्र महान
जनगण गाए मंगलगान
*
दसों दिशाएँ लिए आरती
नजर उतारे मातु भारती
धरणि पल्लवित-पुष्पित करती
नेह नर्मदा पुलक तारती
नीलगगन विस्तीर्ण वितान
अगिन नमन गणतंत्र महान
*
ध्वजा तिरंगी फहरा फरफर
जनगण की जय बोले फिर फिर
रवि बन जग को दें प्रकाश मिल
तम घिर विकल न हो मन्वन्तर
सत्-शिव-सुंदर मूल्य महान
अगिन नमन गणतंत्र महान
*
नीव सुदृढ़ मजदूर-किसान
रक्षक हैं सैनिक बलवान
अभियंता निर्माण करें नव
मूल्य सनातन बन इंसान
सुख-दुख सह समभाव सकें हँस
श्वास-श्वास हो रस की खान
अगिन नमन गणतंत्र महान
*
केसरिया बलिदान-क्रांति है
श्वेत स्नेह सद्भाव शांति है
हरी जनाकांक्षा नव सपने-
नील चक्र निर्मूल भ्रांति है
रज्जु बंध, निर्बंध उड़ान
अगिन नमन गणतंत्र महान
*
कंकर हैं शंकर बन पाएँ
मानवता की जय जय गाएँ
अडिग अथक निष्काम काम कर
बिंदु सिंधु बनकर लहराएँ
करे समय अपना जयगान
संजीव
२६-१-२०२१
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